राजस्थान: पशुधन व डेयरी विकास योजनाएं


राजस्थान पशुधन निःशुल्क दवा योजना - 15 अगस्त 2012 से प्रारंभ - उद्देश्य: राज्य के 5.67 करोड़ पशुधन (1.21 करोड़ गाएं, 1.11 करोड़ भैंसें, 2.15 करोड़ बकरियां, 1.11 करोड़ भेड़ें, 4.22 लाख ऊंट आदि) हेतु 110 आवश्यक औषधियों (पहले 87) व 13 सर्जिकल मेटेरियल की निःशुल्क उपलब्धता सुनिश्चित करना।

राजस्थान दुग्ध उत्पादक संबल योजना - राज्य सरकार के सहकारी दुग्ध उत्पादक संघों में दूध की आपूर्ति करने वाले पशुपालकों को राज्य सरकार द्वारा 2 रू. प्रति लीटर की दर सं अनुदान उपलब्ध करवाना।

अविका क्रेडिट कार्ड योजना - केंद्रीय सहकारी बैंकों के माध्यम से वर्ष 2004-05 में प्रारंभ भेंडपालकों को ऋण प्रदान करने की  योजना

अविका कवच येाजना - भेड़पालकों को भेड़ों का बीमा लाभ प्रदान करने की योजना

अविका पाल जीवन रक्षक योजना - भेड़पालकों का बीमा कराने की योजना

अविका रक्षक योजना - भेड़पालकों से संबंधित

गोपाल योजना - विश्व बैंक की सहायता से 2 अक्टूबर 1990 से दक्षिण पूर्वी राजस्थान के 10 जिलों में प्रारंभ गोपाल योजना के तहत पशुधन नस्ल सुधार के माध्यम से पशुपालकों के आर्थिक स्तर में सुधार लाया जाता है।

कामधेनु योजना - गौशालाओं को उन्नत नस्ल के दुधारू पशुओं के प्रजनन केंद्र बनाने हेतु वर्ष 1997-98 में कामधेनु योजना प्रारंभ की गई।

ग्राम आधार योजना का संबंध किससे है - पशुपालन के विकास से

राजस्थान राज्य सहकारी डेयरी फैडरेशन का प्रसिद्ध पैकिंग दूध उत्पाद - ट्रेटापेक

झालरापाटन डेयरी का प्रसिद्ध उत्पाद - पोस्ता बर्फी

आॅपरेशन फ्लड व श्वेत क्रांति का आरंभ वर्ष 1970 में किया गया।

जयपुर स्थित राजस्थान राज्य सहकारी डेयरी फैडरेशन की स्थापना वर्ष 1977 में हुई।

राजस्थान राज्य की सबसे बड़ी डेयरी - रानीवाड़ा डेयरी

जन श्री योजना - दुग्ध उत्पादकों के लिए आरसीडीएकफ द्वारा संचालित बीमा योजना

किस गांव में राजस्थान की पहली महिला दुग्ध उत्पादन सहकारी समिति प्रांरभ की गई - भोजूसर (बीकानेर)

राजस्थान की पहली डेयरी - पदमा डेयरी (अजमेर)

देश की पहली केमल मिल्क डेयरी / ऊंट दुग्ध डेयरी जोड़बीर (बीकानेर) में स्थापित की गई।

कामधेनु योजना वर्ष 1997-98 में प्रांरभ की गई।
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