मेहरानगढ़ दुर्ग (जोधपुर) ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
1. राठौड़ों के शौर्य के साक्षी मेहरानगढ़ दुर्ग की नींव मई, 1459 में रखी गई।
2. मेहरानगढ़ दुर्ग चिडि़या-टूक पहाडी पर बना है।
3. मोर जैसी आकृति के कारण यह किला म्यूरघ्वजगढ़ कहलाता है।
दर्शनिय स्थल
1.चामुण्डा माता मंदिर -यह मंदिर राव जोधा ने बनवाया। 1857 की क्रांति के समय इस मंदिर के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण इसका पुनर्निर्माण महाराजा तखतसिंह न करवाया।
2.चैखे लाव महल- राव जोधा द्वारा निर्मित महल है।
3.फूल महल - राव अभयसिंह राठौड़ द्वारा निर्मित महल है।
4. फतह महल - इनका निर्माण अजीत सिंह राठौड ने करवाया।
5. मोती महल - इनका निर्माता सूरसिंह राठौड़ को माना जाता है।
6. भूरे खां की मजार
7. महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश (पुस्तकालय)
8. दौलतखाने के आंगन में महाराजा तखतसिंह द्वारा विनिर्मित एक शिंगगार चैकी (श्रृंगार चैकी) है जहां जोधपुर के राजाओं का राजतिलक होता था।
दुर्ग के लिए प्रसिद्ध उन्ति - " जबरों गढ़ जोधाणा रो"
ब्रिटिश इतिहासकार किप्लिन ने इस दुर्ग के लिए कहा है कि - इस दुर्ग का निर्माण देवताओ, फरिश्तों, तथा परियों के माध्यम से हुआ है।
दुर्ग में स्थित प्रमुख तोपें-
1. किलकिला
2. शम्भू बाण
3. गजनी खां
4. चामुण्डा
5. भवानी