उत्तर - मंडोर
व्याख्या -
■ जोधपुर के शिलालेख (831ई.) एवं घटियाले के दो शिलालेखों (837ई. व 861ई.) के अनुसार मंडोर के प्रतिहारों का आदि पुरुष राजा हरिशचन्द्र था
■ राजा हरिशचन्द्र का एक अन्य नाम 'रोहिलद्धि' था
■ राजा हरिशचन्द्र एक ब्राह्मण था , वह प्रतिहारों का गुरू भी था
■ राजा हरिशचन्द्र की दो पत्नियाँ थी - ब्राह्मणी व भद्रा क्षत्राणी
■ भद्रा क्षत्राणी से चार पुत्र उत्पन्न हुए - भोगभट्ट,कदक,रज्जिल एवं दद्द
■ इन चारों पुत्रों ने मिलकर माण्डव्यपुर/मंडोर को जिता एवं उसके चारों ओर परकोटा बनाया
■ राजा हरिशचन्द्र के तीसरे पुत्र रज्जिल से मंडोर की वंशावली प्रारंभ होती है !
प्रश्न_2 इतिहासकार आर.सी.मजूमदार के अनुसार गुर्जर-प्रतिहारों ने कितनी शताब्दी तक अरब आक्रमणकारियों के लिए वाधक का काम किया?
उत्तर - छठी शताब्दी से ग्यारहवी शताब्दी
व्याख्या -
■ गुर्जर-प्रतिहारों ने सर्वप्रथम मारवाड़ फिर उज्जैन तथा कन्नौज को अपनी शक्ति का केन्द्र बनाकर सदियों तक भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने के साथ पश्चिमोतर भारत से आने वाली विदेशी आक्रमणकारियों से भारत की रक्षा की
■ गुर्जर -प्रतिहारों की 26शाखायें थी, इनमें सबसे प्राचीन एवं महत्वपूर्ण शाखा मंडोर के प्रतिहार थे
■ चीनी यात्री हवेनसांग ने गुर्जर -प्रतिहारों की राजधानी 'पीलोमोलो' बताई है (संभवतः भीनमाल या बाड़मेर)
■ गुर्जर -प्रतिहारों नें कन्नौज एवं उत्तर भारत पर अपना वर्चस्व स्थापित करनें के लिए बंगाल के पाल एवं दक्षिण के राष्ट्रकूटों के साथ त्रि-पक्षीय संघर्ष किया और अन्तत: विजयी रहे!
प्रश्न_3 1735ई. में मराठा पेशवा बाजीराव प्रथम की माँ 'राधाबाई' जब उत्तर भारत की तीर्थ यात्रा के संदर्भ में राजपूताना आई तो उनका जयपुर के किस तत्कालीन शासक ने अत्यधिक सम्मान कर मराठों का विश्वास प्राप्त किया?
उत्तर - सवाई जयसिंह
व्याख्या -
■ सवाई जयसिंह 18वी सदी के पूर्वार्द्ध में भारतीय राजनीति में उल्लेखनीय स्थान रखते थे
■ सवाई जयसिंह की मुगलों में स्थिति काफी अच्छी थी , साथ ही दूरदर्शी होने के कारण उन्होंने मराठों से भी अपनी मित्रता बनाए रखी
■ सवाई जयसिंह की मराठों से इस मित्रता में प्रगाढता तब आई जब 1735 में बाजीराव प्रथम की माँ राधाबाई राजपूताना आई और सवाई जयसिंह द्वारा उनका अत्यधिक आदर-सत्कार किया गया !
प्रश्न_4 शाकम्भरी का चौहान शासक जिसने 1113ई. में अजयमेरू/अजमेर नामक नगर बसाया ?
उत्तर - अजयराज
व्याख्या -
■ अजयराज (1105-1133ई.) का काल चौहानों के साम्राज्य निर्माण का काल माना जाता है
■ अजयराज ने 1113ई. में अजमेर नगर बसाकर उसे अपनी राजधानी बनाया
■ अजयराज ने अजमेर में एक विशाल टकसाल गृह की स्थापना की तथा बहुसंख्यक चाँदी व ताँबे की मुद्राएं जारी की
■ 'श्री अजयदेव' नामांकित चाँदी की मुद्राओं पर उसने अपनी पत्नी 'सोमलदेवी' का नाम भी अंकित करवाया
■ अजयराज ने जैनियों को अजमेर में मंदिर बनाने की आज्ञा दी एवं पाशर्वनाथ मन्दिर के लिए स्वर्ण -कलश प्रदान किया तथा दिगम्बरों व श्वेतांबरों के शास्त्रार्थ की अध्यक्षता की
■ अजयराज ने 1133ई. में अपने पुत्र अर्णौराज के पक्ष में सिहांसन त्यागकर पुष्कर के वनों में निवास किया !
प्रश्न_5 राजपूताने के किस राजा को 'कलियुग का कर्ण' कहा जाता है ?
उत्तर - राव लूणकर्ण (बीकानेर )
व्याख्या -
■ बींठू सूजा ने अपनी कृति 'जैतसी रो छन्द' में बीकानेर के शासक राव लूणकर्ण को कलियुग का कर्ण कहा है
■ कर्मचन्द्रवंशोत्कीर्तनक काव्यम में राव लूणकर्ण की दानशीलता की तुलना कर्ण से की गई है
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