ख्यात (Khyat): राजस्थानी साहित्य के इतिहासपरक ग्रंथ जिनकी रचना तत्कालीन शासकों ने अपनी मान मर्यादा एवं वंशावली के चित्रण हेतु करवाई हो, ख्यात कहलाती है।
वंशावली (Vanshavali / Pedigree): राजवंशों की वंशावलियां विस्तृत विवरण सहित।
वात (Baat): वात का अर्थ ऐतिहासिक, पौराणिक, प्रेमपरक व काल्पनिक कथा या कहानी से है।
प्रकास (Prakas): किसी वंश या व्यक्ति विशेष की उपलब्धियों पर प्रकाश डालने वाली कृतियां।
वचनिका (Vachnika / Bachnika): यह गद्य-पद्य तुकांत रचना होती है।
मरस्या (Marasya / Anthologies): राजा या किसी व्यक्ति विशेष की मृत्यु के बाद शोक व्यक्त करने के लिए रचित काव्य।
दवावैत (Davavait): यह उर्दू फारसी की शब्दावली से युक्त राजस्थानी कलात्मक लेखन शैली है।
रासौ (Raso / Rasau): राजाओं की प्रशंसा में लिखे गये विशाल काव्य ग्रंथ।
वेलि (Veli): राजस्थानी वेलि साहित्य में शासकों व सामंतों की वीरता, इतिहास, उदारता व वंशावली का उल्लेख होता है।
विगत (Vigat): इतिहास परक रचनाएं।
निसाणी (Nisani): किसी व्यक्ति या घटना का स्मरण दिलाने वाली रचना।
ख्यात-वात-वित-वंशावलि - गद्य रूप में;निसाणी-गीत-रासौ-वेलि - पद्य रूप में।