सिंधु घाटी सभ्यता (परिचय – 2)

 सिंधु घाटी सभ्यता का भौगोलिक विस्तार क्या था? – यह सभ्यता विभिन्न कालखण्डों के दौरान पश्चिम में सुत्कागेण्डोर (बलूचिस्तान, पाकिस्तान) से पूर्व में आलमगीरपुर (उत्तरप्रदेश) तक और उत्तर में माण्दा (जम्मू) से दक्षिण में दायमाबाद (महाराष्ट्र) तक फैली थी
……………………………………………………………………………..
 सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार जिस क्षेत्र में था उससे कौन सी आकृति बनती है? – त्रिभुज (अर्थात इस संस्कृति का विस्तार एक त्रिभुजाकार आकार में था यदि हम इस संस्कृति के तहत आने वाले तमाम क्षेत्रों से एक आकार बनाते हैं)
……………………………………………………………………………..
 सिंधु घाटी सभ्यता से सम्बंधित प्रमुख स्थल (नगर) कौन से थे? – हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, धौलावीरा, मेहरगढ़, लोथल, कालीबंगन, बनवाली, चान्दूहाड़ो और गनेरीवाला
……………………………………………………………………………..
 सिंधु घाटी सभ्यता के स्थलों (नगरों) की सबसे बड़ी विशेषता क्या मानी जाती है? – इन स्थलों में समृद्ध शहरी सभ्यता का विकास
……………………………………………………………………………..

 सिंधु घाटी सभ्यता के अधिकांश नगरों में स्थित मानवीय बस्ती को अधिकांशत: किन दो भागों में बाँटा जाता था? – दुर्ग क्षेत्र तथा निचला शहर क्षेत्र (दुर्ग क्षेत्र (Citadel Area) छोटा लेकिन अधिक ऊँचाई पर स्थित होता था जबकि निचला नगर क्षेत्र (Lower Town Area) अधिक विस्तृत लेकिन अपेक्षाकृत निचले स्थान पर अवस्थित होता था)
……………………………………………………………………………..
 मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ (सिंधी भाषा में) क्या है? – मुर्दों का टीला
……………………………………………………………………………..
 मोहनजोदड़ो के किस निर्माण को प्राय: सबसे महत्वपूर्ण निर्माण माना जाता है? – विशाल स्नानागार (The Great Bath)
……………………………………………………………………………..
 मोहनजोदड़ो के प्रसिद्ध विशाल स्नानागार की खोज किस वर्ष की गई थी? – सन 1926 ई. में
……………………………………………………………………………..
 मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार की भौतिक माप क्या थी? – 180 फुट गुणे 108 फुट (हालांकि इसका मुख्य स्थान स्थल 39 फुट लम्बा, 23 फुट चौड़ा और 8 फुट ऊँचा है)
……………………………………………………………………………..
 मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार का मुख्यत: किस उद्देश्य के लिए प्रयोग होने के साक्ष्य मिलते हैं? –धार्मिक कार्यों के लिए अनुष्ठानिक स्नान के लिए
……………………………………………………………………………..
 मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार के निर्माण की प्रमुख विशेषताएं क्या थीं? – इसका निर्माण मजबूती से बाँधी गई ईंटों का प्रयोग किया गया था, इसकी तली पर डामर (टार – Bitumin) का इस्तेमाल कर जलाशय में एकत्रित किए जाने वाले जल को रिसने से रोका जाता था और एक छेद का प्रयोग संभवत: पानी भरने और निकाले जाने के लिए किया जाता था
……………………………………………………………………………..
Mohenjodaro-Dancing-Girl
 सिंधु घाटी सभ्यता की एक प्रमुख पहचान मानी जाने वाली काँसे की बनी नर्तकी की मूर्ति (Dancing Girl) कहाँ से प्राप्त हुई थी? – मोहनजोदड़ो (1926 में)
……………………………………………………………………………..
 मोहनजोदड़ो की प्रसिद्ध काँसे की नर्तकी की खोज किसने की थी? – अर्नेस्ट जॉन हेनरी मैके – Earnest John Henry Mackay (ब्रिटिश इतिहासकार तथा पुरातत्ववेत्ता)
……………………………………………………………………………..
 मोहनजोदड़ो की काँसे की नर्तकी की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं? – इसकी लम्बाई लगभग 10.5 से.मी. है, यह हार तथा अपने बाएं हाथ में बहुत सारी चूड़ियाँ पहने हुए है तथा निर्वस्त्र है (हालांकि यह अपने स्थान पर खड़ी हुई है लेकिन इसकी भाव-भंगिमा से इसके एक नर्तकी होने का अनुमान इतिहासकारों ने लगाया है)
……………………………………………………………………………..
 मोहनजोदड़ो की काँसे की नर्तकी की खोज से सिंधु घाटी संस्कृति के बारे में क्या प्रमुख तथ्य उभर कर सामने आए हैं? – इससे मुख्यत: दो तथ्यों के बारे में पता चला है – एक) इस संस्कृति के लोगों को धातु से वस्तुएं बनाने तथा सांचे का प्रयोग करने का ज्ञान था और दूसरा) इस संस्कृति में मनोरंजन का विशेष स्थान था (अधिकांशत: नृत्य)
……………………………………………………………………………..
Previous
Next Post »