विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस



⬧ प्रतिवर्ष 17 जून को विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस (World Day to Combat Desertification and Drought) का आयोजन किया जाता है।

⬧ वर्ष 2023 की थीम: " Her land. Her rights"।

⬧ वर्ष 1992 के रियो पृथ्वी सम्मेलन के दौरान जलवायु परिवर्तन और जैवविविधता के नुकसान के साथ मरुस्थलीकरण को सतत् विकास के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों के रूप में पहचाना गया था।

⬧ वर्ष 1994 में महासभा ने संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बेट डेज़र्टिफिकेशन (UNCCD) की स्थापना की, जो पर्यावरण और विकास को स्थायी भूमि प्रबंधन से जोड़ने वाला एकमात्र कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय समझौता है तथा 17 जून को "विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस" घोषित किया गया।

⬧ कालांतर में वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2010-2020 को मरुस्थलीकरण के लिए संयुक्त राष्ट्र दशक और UNCCD सचिवालय के नेतृत्व में भूमि क्षरण से लड़ने हेतु वैश्विक सहयोग जुटाने को मरुस्थलीकरण के खिलाफ लड़ाई की घोषणा की।

⬧ शुष्क, अर्द्ध-शुष्क और शुष्क उप-आर्द्र क्षेत्रों में भूमि का क्षरण होता है। यह मुख्य रूप से मानव गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन के कारण होता है।

⬧ यह मौजूदा रेगिस्तानों के विस्तार का उल्लेख नहीं करता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि शुष्क भूमि पारिस्थितिकी तंत्र जो दुनिया के एक-तिहाई से अधिक भूमि क्षेत्र को कवर करते हैं, अतिदोहन और अनुचित भूमि उपयोग के कारण बेहद संवेदनशील हैं।

⬧ संयुक्‍त राष्‍ट्र मरुस्‍थलीकरण रोकथाम कन्‍वेंशन (UNCCD) वर्ष 1994 में स्थापित यह पर्यावरण और विकास को स्थायी भूमि प्रबंधन से जोड़ने वाला एकमात्र कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय समझौता है।

⬧ यह विशेष रूप से उन शुष्क, अर्द्ध-शुष्क और शुष्क उप-आर्द्र क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है, जिन्हें शुष्क भूमि के रूप में जाना जाता है, इन स्थानों पर सबसे कमज़ोर पारिस्थितिकी तंत्र पाए जाते हैं। 

⬧ कन्वेंशन की 197 पार्टियाँ शुष्क भूमि में लोगों के रहने की स्थिति में सुधार, भूमि और मिट्टी की उत्पादकता को बनाए रखने एवं बहाल करने तथा सूखे के प्रभाव को कम करने के लिए मिलकर काम करती हैं।
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