👉विवाह के संस्कार-
1. बरी पड़ला
2. पहरावणी/ रंगबरी (समठुणी)
3. सामेला/ मधुपर्क (गोरवा लेना)
4. बढ़ार
5. बिनोटा
6. हथलेवा/ पाणिग्रहण संस्कार
7. हलदायत की पूजा/ गणेश पूजा
8. औलंदी
9. पैसारो
10. मुकलावा/ गोना
11. चवरी छाना
12. रीत
13. सोटा-सोटी
14. सिंजारा
15. रियाण
16. लीला मोरिया
👉बरी पड़ला-
➯वर पक्ष की तरफ से वधु के लिए वस्त्र एवं मिठाई भेजना ही बरी पड़ला कहलाता है।
👉पहरावणी/ रंगबरी (समठुणी)-
➯बारात विदाई (समठुणी) के समय वधु के पिता द्वारा प्रत्येक बाराती को उपहार स्वरूप भेंट प्रदान करना ही पहरावणी/ रंगबरी कहलाता है!
👉सामेला/ मधुपर्क-
➯वधु का पिता अपने सगे संबंधियों के साथ बारात की अंगुवानी करना या स्वागत करना (गोरवा लेना) ही सामेला/ मधुपर्क कहलाता है।
👉बढ़ार-
➯सामूहिक प्रीतिभोज ही बढ़ार कहलाता है।
👉बिनोटा-
➯वर वधु के पैरों की जूतियां को बिनोटा कहते है।
👉हथलेवा/ पाणिग्रहण-
➯फेरो के मंडप में वर व वधु के हाथ मिलाना ही हथलेवा/ पाणिग्रहण संस्कार कहलाता है।
👉हलदायत की पूजा/ गणेश पूजा-
➯वर व वधु को पिठी लगना या वर व वधु का बाण/बान बैठाना ही हलदायत की पूजा/ गणेश पूजा कहलाता है।
👉औलंदी-
➯वधु जब पहली बार अपने ससुराल आती है उस समय वधु के साथ आने वाला वधु का भाई या रिश्तेदार ही औलंदी कहलाता है।
👉पसारो-
➯वधु जब पहली बार ससुराल आती है तो घर के मुख्य दरवाजे पर सात थाली (6 थाली व 1 कचोला) रखी जाती है, वर इन थालियों को इधर-उधर करता है तथा वधु इन थालियों को इकठा करती है इसी परम्परा को ही पैसारो कहते है।
👉मकलावा/ गोना-
➯अवयस्क विवाहित कन्या को वयस्क हो जाने पर उसे ससुराल भेज जाता है इसी परम्परा को ही मुकलावा/ गोना कहते है।
👉चवरी छाना-
➯फेरो के मंडप को चवरी छाना कहा जाता है।
👉रीत-
➯गोद भराई की रस्म को रीत कहते है।
👉सोटा-सोटी-
➯विवाहोपरान्त दूल्हा व दुल्हन के द्वारा लकड़ी (सोटी) से खेले जाने वाला खेल ही सोटा-सोटी कहलाता है।
👉सिंजारा-
➯वह पर्व (त्योहार) जिसमें पुत्री एवं पुत्रवधु के लिए साड़ी, श्रृंगार सामग्री व मिठाई आदि भेजे जाते है सिंजारा कहलाता है।
👉रियाण-
➯पश्चिमी राजस्थान में विवाह के दुसरे दिन अफीम पिलाकर मेहमानों का सम्मान करना रियाण कहलाता है।
👉लीला मोरिया-
➯लीला मोरिया आदिवासियों की वैवाहिक रस्म है।