राजस्थान के प्रमुख लोकदेवता
☞राजस्थान के पंच पीर- 1. रामदेवजी,2. गोगाजी ,3. हडबुजी,4. मांगलिया मेहाजी ,5. पाबूजी
1. रामदेवजी
☞जन्म- रामदेवजी का जन्म उन्डूकास्मेर(बाड़मेर ) नामक स्थान में सन.1352 ईस्वी(विक्रम संवत. 1409 ) में हुवा था
☞पिता- राजा अजमाल , माता-मैनादे ,बहन-सुगना बाई ,भाई -विरमदेव(बलराम के अवतार माने जाते है ),पत्नी- नैतल्दे/निहालदे(सोढालसिंह की पुत्री ),गुरु का नाम– बालिनाथ जी
☞ अन्य नाम-रुनेचा रा धणी,पिरो का पीर ,सांप्रदायिक-सदभाव के लोकदेवता ,रामसापीर
☞हिन्दू इन्हें कृष्ण का अवतार मानते है और मुसलमान इन्हें रामसापीर के नाम से पुकारते है
☞बाबा रामदेवजी ने ही कामडीया पंथ की स्थापना की थी
☞रामदेवजी के मेले का प्रमुख आकर्षण तेरहताली नृत्य है जो की कामड जाति की महिलाओ द्वारा किया जाता है
☞रामदेवजी ने भैरव नामक राक्षश का वध किया था
☞रामदेवजी ही एक मात्र ऐसे लोकदेवता थे जो की एक कवि भी थे जिन्होंने ने चौबीस बानीया की रचना की थी
☞रामदेवजी का मेला रुणेचा में प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल द्वितया से एकाद्समी तक लगता है
☞रामदेवजी के चमत्कारों को- परचे/परचा देना कहा जाता है ,ध्वजा को-नेजा कहा जाता है ,प्रतीक चिन्ह-पगल्या/चरण चिह्न ,वाहन –नीला घोडा ,रात्रि जागरण को-जम्मा कहा जाता है
☞भगतजन इन्हें कपड़े का घोडा भी चढाते है
☞डाली बाई रामदेवजी की धर्म बहिन थी जो की मेघवाल जाती की थी
☞प्रमुख मंदिर– रामदेवरा(जैसलमेर),सुरता खेड़ा (चित्तोडगढ),मसुरिया(जोधपुर ),अधरशिला मंदिर (जोधपुर )
2. वीर तेजाजी
☞जन्म- तेजाजी का जन्म खड़नाळ(नागोर) में सन-1074ईस्वी(वि.स.1131) में नागवंशीय जाट परिवार में हुवा था
☞पिता का नाम- ताहड़ ,माता का नाम-राज कंवरी ,पत्नी का नाम-पेमल दे(विशेष-मीरा बाई के बचपन का नाम भी पेमल ही था )
☞अन्य नाम– सांपो के देवता,गायो का मुक्तिदाता ,काला-बाला का देवता,कृषि कार्यो का उपकारक देवता ,धौलिया वीर
☞वाहन- लिळण घोड़ी
☞प्रतीक चिह्न- तलवार धारी अश्वारोही योधा(जिनकी जिह्वा पर सांप डसता हुवा चित्रित किया जाता है )
☞तेजाजी का प्रमुख मेला(पशु मेला ) राजस्थान के नागोर जिले के परबतसर नामक स्थान पर प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष की दशमी को लगता है
3. पाबूजी
☞जन्म- पाबूजी का जन्म कोलुमंड/कोलू(जोधपुर) में सन 1239 ईस्वी(वि.स.1296) में राठोड़ राजवंश परिवार में हुवा था
☞पिता का नाम-धाँधलजी राठोड़,माता का नाम-कमला दे ,पत्नी का नाम-फूलम दे
☞पाबूजी की घोड़ी का नाम केसर कालमी था ये घोड़ी पाबूजी को देवली चारण के द्वारा दी गयी थी
☞अन्य नाम- ऊटो का देवता ,गौरक्षक देवता ,प्लेग रक्षक देवता ,हाड़-फाड़ देवता ,लक्ष्मण जी का अवतार
☞रायका जाति के आराध्य देव पाबूजी है इस लिए जब कभी ऊँट बीमार हो जाता है तो पाबूजी की फड़ का बांची जाती है
☞पाबूजी की फड़ सबसे ज्यादा लोकप्रिय फड़ मानी जाती है जिसका वाचन करते समय रावण हत्था नामक वाध्य यंत्र का इस्तेमाल किया जाता है
☞मारवाड़ में सर्वप्रथम ऊंट लाने का श्रेय पाबूजी को ही जाता है
☞प्रतीक चिह्न-भाला लिए हुए अश्वारोही
☞पाबूजी के उपासको द्वारा इनकी स्मृति में थाली नृत्य किया जाता है
☞पाबूजी का प्रमुख मंदिर कोलुमंड(जोधपुर) में है जहा पर प्रतिवर्ष चेत्र अमावश्या को मेला लगता है
4. गोगाजी
☞जन्म- गोगाजी का जन्म ददरेवा(चुरू ) में वि.स.1003 में नागवंशीय चौहान परिवार में हुवा था
☞ पिता का नाम- जेवर सिंह , माता का नाम- बाछल ,पत्नी का नाम-केलमदे गुरु का नाम-गोरखनाथ
☞अन्य नाम– नागों का देवता ,जाहरपीर ,नागराज का अवतार ,गोगापीर
☞गोगा जी का थान खेजड़ी वृक्ष के निचे बना होता है ,जहा पर पत्थर पर सांप की आकृति बनी होती है
☞किसान हल जोतते से समय हल और हाली को गोगा राखडी बांधते है
☞गोगाजी का प्रमुख मंदिर-गोगामेडी/धुरमेडी-नोहर (हनुमानगढ़) में है जहा पर प्रतिवर्ष भाद्रपद कृष्ण नवमी (गोगा नवमी ) को मेला लगता है
5. हड़बुजी
☞जन्म- हडबुजी का जन्म भुडेल गाव(नागोर) में हुवा था मेहाजी के यहाँ पर
☞गुरु का नाम- बालिनाथ
☞वाहन- हडबुजी का वाहन सियार है
☞अन्य नाम- वचन सिध्पुरुष ,चमत्कारी पुरुष ,शकुन शास्त्र के ज्ञाता ,योगी सन्यासी ,वीर योधा
☞हडबुजी का प्रमुख मंदिर बेंगटी(फलौदी, जोधपुर) में है जिनके पुजारी सांकला राजपूत होते है
☞हडबुजी ऐसे लोकदेवता है जिनके मंदिर में कोई भी मूर्ति नही होती है बल्कि इनकी गाड़ी की पूजा की जाती है
6. मेंहा जी मांगलिया
☞मेहा जी मांगलिया को राजस्थान के पंचपिरो में गिना जाता है
☞पिता का नाम-गोपाल राज सांखला
☞वाहन- किरड काबरा(घोडा )
☞प्रमुख मंदिर-बापणी(जोधपुर )
7. देवनारायण जी
☞जन्म- देवनायारण का जन्म मालासेरी की डूंगरी में सन-1243 ईस्वी(वि.स.1300) में बगडावत वंश के गुर्जर परिवार में हुवा था
☞पिता का नाम- सवाईभोज(बाघसिंह के पुत्र ),माता का नाम- साडू खटानी ,पत्नी का नाम-पीपल दे ,
☞वाहन- लीलाघर घोड़ा
☞देवनारायण जी की फड़ सबसे लम्बी ,सबसे प्राचीन और सबसे छोटी फड़ है जिसका वाचन करते समय जंतर वाद्य का इस्तेमाल किया जाता है (विशेष- देवनारायण एक मात्र ऐसे लोकदेवता है जिनकी फड़ पर भारतीय डाक विभाग द्वारा 1992 में डाक टिकिट जारी किया गया )
☞देवनारायण जी को राज्य क्रांति का जनक कहा जाता है
☞देवनारायण जी का मंदिर आसींद में है जहा पर प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मेला लगता है
☞अन्य मंदिर- देवमाली,ब्यावर (अजमेर),देवडूंगरी(चितोड़),देवधाम,जोधपुरिया(टोंक)
8. मल्लीनाथ जी
☞जन्म-मल्लीनाथ जी का जन्म तिलवाड़ा(बाड़मेर) में सन-1358 ईस्वी(वि.स.1415) में हुवा था
☞पिता का नाम-रावल सलखा(राव तिडा),माता का नाम-जीणादे
☞अन्य नाम-सिद्धपुरुष,चमत्कारी योद्धा
☞मंदिर- तिलवाड़ा(बाड़मेर) में है जहा पर प्रतिवर्ष चेत्र मास में कृष्ण पक्ष एकाद्स्मी से शुक्ल पक्ष की एकाद्समी तक मेला लगता है
9. वीर कल्लाजी
☞जन्म- सामियान गाव(मेड़ता नागोर) सन- 1544 ईस्वी में राठोड़ राजपूत परिवार में हुवा था
☞वीर कल्लाजी आससिंह के पुत्र और मीरा बाई के भतीजे थे
☞वीर कल्लाजी राठोड़ को चार हाथो वाले देवता (शेषनाग का अवतार )भी कहा जाता है
☞अन्य नाम- बालब्रहमचारी,योगी कमधण,अस्त्र-शस्त्र विद्या के पारंगत
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10. बिग्गाजी
☞जन्म- बिग्गाजी का जन्म सन-1301 ईस्वी में रिडी गाव(बीकानेर ) में हुवा
☞पिता का नाम-राव मोहन,माता का नाम-सुल्तानी
☞जाखड़(जाट) समाज बिग्गाजी को अपना कुल देवता मानते है
11. भूरिया बाबा
☞मीणा जनजाति के आराध्य देव माने जाते है इस कारण मीणा जनजाति का कोई भी व्यक्ति भूरिया बाबा की झूटी कसम नही खाता है
☞भूरिया बाबा को गौतम बाबा के नाम से भी जाना जाता है
12. तल्लिनाथ जी
☞तल्लिनाथ जी शेरगढ़ ठिकाने(जोधपुर) के राव मालदेव के भाई विरमदेव के पुत्र थे तथा मण्डोर के शासक राव चुडा के भाई थे
☞इन्हें प्रकृति प्रेमी लोकदेवता माना जाता है
13.रूपनाथ जी (झरडा)
☞रूपनाथ जी पाबूजी के बड़े भाई बूढों जी के पुत्र थे
☞इन्होने ने अपने पिता व चाचा की मृत्यु का बदला जिन्दराव खिंची को मार कर लिया
14. बाबा झुझार जी
☞झुझार जी का जन्म सीकर जिले के नीमका थाना तहसील के इमहोला कस्बे में एक राजपूत परिवार में हुवा था
☞स्यालोद्डा गाव(सीकर) में प्रतिवर्ष रामनवमी के दिन बाबा झुझार जी का मेला लगता है
15. वीर फत्ता जी
☞वीर फत्ता जी का जन्म सांधू गाव(जालौर ) के ही गज्जारिणी परिवार में हुवा था सांधू गाव में प्रतिवर्ष भादवा सुदी नवमी को इनका विशाल लगता है
16.पनराज जी
☞इनका जन्म जैसलमेर जिले के नया गाव के एक क्षत्रिय परिवार में हुवा था
☞इनका मेला पनराजसर गाव (जैसलमेर) में दो बार भाद्रपद शुक्ल दशमी और माघ शुक्ल दशमी को लगता है
17. हरिराम बाबा या हिरामन बाबा
☞जन्म- विक्रम संवत –1959
☞पिता का नाम- राम नारायण ,माता का नाम- चंदणी देवी
☞इनके मंदिर में मूर्ति नही होती है मात्र सांप की बाम्बी और बाबा के प्रतीक के रूप में चरण कमल होते है
18. इलोजी
☞इन्हें छेड़छाड़ के लोकदेवता कहा जाता है
☞यह नव दम्पतियों को सुखद जीवन और बाँझ स्त्रियों को संतान देते है
19. भोमिया जी
☞लोकदेवता भोमिया जी गाव-गाव में भूमि रक्षक देवता के रूप में पूजे जाते है
20. देवबाबा
☞देव बाबा के प्रति गुर्जर जाति के लोगो में अपार श्रध्दा है
☞इन्हें ग्वालो के प्लानहार,कष्ट निवारक देवता आदि नामो से भी जाना जाता है
☞इनका मंदिर नगला जहाज (भरतपुर ) में है
☞वाहन- भैंसा(पाडा)
21. बाबा मामादेव
☞इन्हें वर्षा के लोकदेवता कहा जाता है
☞इनकी मूर्ति पत्थर की न होकर लकड़ी के कलात्मक तोरण बनाकर गाव के मुख्य प्रवेश मार्ग पर स्थापित की होती है
☞मुख्य मंदिर स्यालोदड़ा(सीकर) में स्थित है जहा पर प्रतिवर्ष रामनवमी को मेला लगता है