Current Affairs May 2018
1.आईएमएफ ने सुझाए ऊंची विकास दर के उपाय
• अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत को उच्च आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के लिए तीन सुधारों पर ध्यान देने का सुझाव दिया है।आईएमएफ ने कहा कि भारत को अपनी वृद्धि में जारी तेजी को बनाए रखने के लिए बैंकिंग क्षेत्र में सुधार, राजकोषीय मजबूती, जीएसटी को सरल बनाने और प्रमुख बाजारों के सुधारों में नए सिरे से तेजी लाने जैसे मोर्चे पर काम करना चाहिए।देश की आर्थिक वृद्धि दर वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में बढ़कर 7.7 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
• इससे पिछले तिमाही में यह सात फीसद थी। आईएमएफ के संवाद निदेशक गैरी राइस ने पत्रकारों से कहा, भारत की आर्थिक वृद्धि दर में 2018-19 में सुधार जारी रहने की उम्मीद है। चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 7.4 फीसद और अगले चलकर वर्ष 2019-20 में 7.8 फीसद रहने का अनुमान है।’
• राइस ने आर्थिक वृद्धि दर में तेजी को बनाए रखने के लिए भारत को कुछ उपायों को पर काम करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘पहले चरण में, भारत को बैंकों और कंपनियों की बैलेंस शीट को साफ-सुथरा करने में काम में तेजी लानी चाहिए ताकि बैंकों की ऋण देने की क्षमता को फिर से पूर्वस्तर पर लाया जा सके और ऋण प्रावधानों को अधिक दक्ष बनाया जा सके।’
• दूसरे चरण में, राजकोषीय मजबूती में सुधार को जारी रखने और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की संरचना को और सरल तथा व्यवस्थित करने का सुझाव दिया है। वहीं, तीसरे चरण में मध्यम अवधि के दौरान श्रम और रीयल्टी जैसे प्रमुख बाजारों के सुधारों में नए सिरे से तेजी लाने का सुझाव दिया है।
• बैंकिंग सेक्टर में सुधार लाए भारतदराजकोषीय स्थिति मजबूत बनाने पर जोर
• जीएसटी को सरल बनाने और सुधारों पर दिया जाए विशेष ध्यान
• अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत को उच्च आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के लिए तीन सुधारों पर ध्यान देने का सुझाव दिया है।आईएमएफ ने कहा कि भारत को अपनी वृद्धि में जारी तेजी को बनाए रखने के लिए बैंकिंग क्षेत्र में सुधार, राजकोषीय मजबूती, जीएसटी को सरल बनाने और प्रमुख बाजारों के सुधारों में नए सिरे से तेजी लाने जैसे मोर्चे पर काम करना चाहिए।देश की आर्थिक वृद्धि दर वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में बढ़कर 7.7 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
• इससे पिछले तिमाही में यह सात फीसद थी। आईएमएफ के संवाद निदेशक गैरी राइस ने पत्रकारों से कहा, भारत की आर्थिक वृद्धि दर में 2018-19 में सुधार जारी रहने की उम्मीद है। चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 7.4 फीसद और अगले चलकर वर्ष 2019-20 में 7.8 फीसद रहने का अनुमान है।’
• राइस ने आर्थिक वृद्धि दर में तेजी को बनाए रखने के लिए भारत को कुछ उपायों को पर काम करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘पहले चरण में, भारत को बैंकों और कंपनियों की बैलेंस शीट को साफ-सुथरा करने में काम में तेजी लानी चाहिए ताकि बैंकों की ऋण देने की क्षमता को फिर से पूर्वस्तर पर लाया जा सके और ऋण प्रावधानों को अधिक दक्ष बनाया जा सके।’
• दूसरे चरण में, राजकोषीय मजबूती में सुधार को जारी रखने और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की संरचना को और सरल तथा व्यवस्थित करने का सुझाव दिया है। वहीं, तीसरे चरण में मध्यम अवधि के दौरान श्रम और रीयल्टी जैसे प्रमुख बाजारों के सुधारों में नए सिरे से तेजी लाने का सुझाव दिया है।
• बैंकिंग सेक्टर में सुधार लाए भारतदराजकोषीय स्थिति मजबूत बनाने पर जोर
• जीएसटी को सरल बनाने और सुधारों पर दिया जाए विशेष ध्यान
2. भारत, ऑस्ट्रेलिया शैक्षिक सहयोग बढ़ाने पर सहमत
• भारत और ऑस्ट्रेलिया ने स्कूली पाठ्यक्रम, शिक्षण संबंधी तौर-तरीकों, शैक्षिक संस्थानों की आपसी भागीदारी और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने का निश्चय किया। शुक्रवार को एडिलेड में हुई द्विपक्षीय बैठक के दोनों देशों के शैक्षिक संस्थानों के बीच तीन समझौतों पर दस्तखत किए गए।
• भारत-ऑस्ट्रेलिया शैक्षिक परिषद की बैठक में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी मौजूद थे। 1ट्वीट करते हुए जावड़ेकर ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया के साथ शैक्षिक सहयोग बढ़ाने संबंधी वार्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके आस्ट्रेलियाई समकक्ष टर्नबुल मैल्कम के बीच अप्रैल 2017 में हुई बातचीत की प्रतिबद्धता को जताता है।
• एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा और प्रशिक्षण मंत्री साइमन बर्मिघम के साथ द्विपक्षीय बैठक के बाद जारी किए संयुक्त घोषणापत्र के मुताबिक समझौते के तहत दोनों देशों के शिक्षा विशेषज्ञ एक-दूसरे के शैक्षिक पाठ्यक्रमों का अध्ययन करेंगे।
• बैठक के दौरान संयुक्त पीएचडी कार्यक्रम के लिए आइआइटी, गुवाहाटी और कार्टिन यूनिवर्सिटी के बीच करार भी हुआ। इसके अलावा जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय और डाकिन यूनिवर्सिटी और वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी और भारत की सेंचुरियन यूनिवर्सिटी के बीच भी करार पर हस्ताक्षर किए गए।
• भारत और ऑस्ट्रेलिया ने स्कूली पाठ्यक्रम, शिक्षण संबंधी तौर-तरीकों, शैक्षिक संस्थानों की आपसी भागीदारी और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने का निश्चय किया। शुक्रवार को एडिलेड में हुई द्विपक्षीय बैठक के दोनों देशों के शैक्षिक संस्थानों के बीच तीन समझौतों पर दस्तखत किए गए।
• भारत-ऑस्ट्रेलिया शैक्षिक परिषद की बैठक में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी मौजूद थे। 1ट्वीट करते हुए जावड़ेकर ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया के साथ शैक्षिक सहयोग बढ़ाने संबंधी वार्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके आस्ट्रेलियाई समकक्ष टर्नबुल मैल्कम के बीच अप्रैल 2017 में हुई बातचीत की प्रतिबद्धता को जताता है।
• एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा और प्रशिक्षण मंत्री साइमन बर्मिघम के साथ द्विपक्षीय बैठक के बाद जारी किए संयुक्त घोषणापत्र के मुताबिक समझौते के तहत दोनों देशों के शिक्षा विशेषज्ञ एक-दूसरे के शैक्षिक पाठ्यक्रमों का अध्ययन करेंगे।
• बैठक के दौरान संयुक्त पीएचडी कार्यक्रम के लिए आइआइटी, गुवाहाटी और कार्टिन यूनिवर्सिटी के बीच करार भी हुआ। इसके अलावा जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय और डाकिन यूनिवर्सिटी और वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी और भारत की सेंचुरियन यूनिवर्सिटी के बीच भी करार पर हस्ताक्षर किए गए।
3. शरणार्थी मुद्दे पर मैराथन बैठक में ईयू देशों ने किया समझौता
• यूरोपीय यूनियन (ईयू) के 28 देशों में शरणार्थी मसले पर आखिरकार समझौता हो गया। ब्रसेल्स में नौ घंटे तक चली मैराथन बैठक में शुक्रवार सुबह ईयू राष्ट्रप्रमुख इस समझौते पर पहुंचे। ईयू नेता इस बात पर सहमत हुए हैं कि क्षेत्र में आने वाले शरणार्थियों को स्वेच्छा से साझा किया जाएगा। समझौते में सीमाओं की सुरक्षा बढ़ाने की भी बात है। बैठक के बाद जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने माना कि कुछ मुद्दों पर मतभेद अब भी बरकरार हैं।
• समझौते में कहा गया है कि शरण मांगने के आवेदनों के निपटारे के लिए यूरोपीय यूनियन क्षेत्र में विशेष केंद्र स्थापित किए जाएंगे। समुद्र में शरणार्थियों के राहत और बचाव की जिम्मेदारी साझा करने पर भी सहमति बनी है। इटली के प्रधानमंत्री गिसेप कोंटे ने इसकी मांग की थी। उन्होंने इस समझौते पर संतुष्टि जाहिर की है।
• इससे पहले उन्होंने कहा था कि ईयू के अन्य नेता जब तक भूमध्यसागर से आने वाले शरणार्थियों को नियंत्रित करने में इटली की मदद करने का वादा नहीं करेंगे तब तक वह इस शिखर सम्मेलन के सुरक्षा और व्यापार समझौते का समर्थन नहीं करेंगे।1जर्मन चांसलर मर्केल ने कहा कि यह अच्छा संकेत है कि ईयू नेता शरणार्थी मसले पर सहमत हो गए, लेकिन उन्होंने माना कि मतभेद दूर करने के लिए ईयू को अभी काफी काम करने की जरूरत है।
• एक शरणार्थी जहाज को अपने बंदरगाह पर लंगर डालने की इजाजत नहीं देने पर इटली की तीखी आलोचना करने वाले फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों ने कहा कि यूरोपीय सहयोग के लिए यह बड़ा दिन है।
• शरणार्थियों को रोकने के लिए करेंगे मदद : यूरोपीय देशों में इस बात पर भी सहमति बनी है कि वे अपनी आंतरिक सीमाओं की सुरक्षा बढ़ाएंगे। यूरोप तक शरणार्थियों को आने से रोकने के लिए वे तुर्की, मोरक्को और अन्य उत्तर अफ्रीकी देशों की वित्तीय मदद बढ़ाएंगे।
• उल्लेखनीय है कि मध्य एशिया और अफ्रीका में संघर्षो और भुखमरी के कारण बड़ी संख्या में लोग यूरोपीय देशों की ओर पलायन कर रहे हैं।
• यूरोपीय यूनियन (ईयू) के 28 देशों में शरणार्थी मसले पर आखिरकार समझौता हो गया। ब्रसेल्स में नौ घंटे तक चली मैराथन बैठक में शुक्रवार सुबह ईयू राष्ट्रप्रमुख इस समझौते पर पहुंचे। ईयू नेता इस बात पर सहमत हुए हैं कि क्षेत्र में आने वाले शरणार्थियों को स्वेच्छा से साझा किया जाएगा। समझौते में सीमाओं की सुरक्षा बढ़ाने की भी बात है। बैठक के बाद जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने माना कि कुछ मुद्दों पर मतभेद अब भी बरकरार हैं।
• समझौते में कहा गया है कि शरण मांगने के आवेदनों के निपटारे के लिए यूरोपीय यूनियन क्षेत्र में विशेष केंद्र स्थापित किए जाएंगे। समुद्र में शरणार्थियों के राहत और बचाव की जिम्मेदारी साझा करने पर भी सहमति बनी है। इटली के प्रधानमंत्री गिसेप कोंटे ने इसकी मांग की थी। उन्होंने इस समझौते पर संतुष्टि जाहिर की है।
• इससे पहले उन्होंने कहा था कि ईयू के अन्य नेता जब तक भूमध्यसागर से आने वाले शरणार्थियों को नियंत्रित करने में इटली की मदद करने का वादा नहीं करेंगे तब तक वह इस शिखर सम्मेलन के सुरक्षा और व्यापार समझौते का समर्थन नहीं करेंगे।1जर्मन चांसलर मर्केल ने कहा कि यह अच्छा संकेत है कि ईयू नेता शरणार्थी मसले पर सहमत हो गए, लेकिन उन्होंने माना कि मतभेद दूर करने के लिए ईयू को अभी काफी काम करने की जरूरत है।
• एक शरणार्थी जहाज को अपने बंदरगाह पर लंगर डालने की इजाजत नहीं देने पर इटली की तीखी आलोचना करने वाले फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों ने कहा कि यूरोपीय सहयोग के लिए यह बड़ा दिन है।
• शरणार्थियों को रोकने के लिए करेंगे मदद : यूरोपीय देशों में इस बात पर भी सहमति बनी है कि वे अपनी आंतरिक सीमाओं की सुरक्षा बढ़ाएंगे। यूरोप तक शरणार्थियों को आने से रोकने के लिए वे तुर्की, मोरक्को और अन्य उत्तर अफ्रीकी देशों की वित्तीय मदद बढ़ाएंगे।
• उल्लेखनीय है कि मध्य एशिया और अफ्रीका में संघर्षो और भुखमरी के कारण बड़ी संख्या में लोग यूरोपीय देशों की ओर पलायन कर रहे हैं।
4. दो माह में ही साल के लक्ष्य का 55% पहुंचा राजकोषीय घाटा
• वित्त वर्ष के शुरुआती दो महीने में ही राजकोषीय घाटा पूरे साल के लक्ष्य के 55.3% तक पहुंच गया है। सरकार की आमदनी और खर्च में अंतर राजकोषीय घाटा कहलाता है। सरकार ने एक अप्रैल से शुरू हुए नए वित्त वर्ष 2018-19 में इसे 6.24 लाख करोड़ रुपए तक सीमित रखने का लक्ष्य किया है। लेकिन अप्रैल-मई में यह 3.45 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया।
• यह जानकारी कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स (सीजीए) की आेर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों में सामने आई है।
हालांकि स्थिति पिछले साल से बेहतर है। 31 मार्च को खत्म वित्त वर्ष 2017-18 के शुरुआती दो माह में घाटा पूरे साल के 68.3% तक पहुंच गया था।
• ऐसा निवेश को गति देने के लिए सरकार द्वारा अधिक खर्च करने से हुआ था। इस वर्ष सरकार ने घाटा जीडीपी के 3.3% तक रखने का लक्ष्य तय किया है। 2017-18 में इसके लिए 3.2% का लक्ष्य था, लेकिन यह बढ़कर 3.5% हो गया।
• वित्त वर्ष के शुरुआती दो महीने में ही राजकोषीय घाटा पूरे साल के लक्ष्य के 55.3% तक पहुंच गया है। सरकार की आमदनी और खर्च में अंतर राजकोषीय घाटा कहलाता है। सरकार ने एक अप्रैल से शुरू हुए नए वित्त वर्ष 2018-19 में इसे 6.24 लाख करोड़ रुपए तक सीमित रखने का लक्ष्य किया है। लेकिन अप्रैल-मई में यह 3.45 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया।
• यह जानकारी कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स (सीजीए) की आेर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों में सामने आई है।
हालांकि स्थिति पिछले साल से बेहतर है। 31 मार्च को खत्म वित्त वर्ष 2017-18 के शुरुआती दो माह में घाटा पूरे साल के 68.3% तक पहुंच गया था।
• ऐसा निवेश को गति देने के लिए सरकार द्वारा अधिक खर्च करने से हुआ था। इस वर्ष सरकार ने घाटा जीडीपी के 3.3% तक रखने का लक्ष्य तय किया है। 2017-18 में इसके लिए 3.2% का लक्ष्य था, लेकिन यह बढ़कर 3.5% हो गया।
5. फूलों की दुनिया में शामिल होंगी नई प्रजातियां
• कुदरत ने पेड़-पौधों के रूप में पृथ्वी को अनगिनत तोहफों से नवाजा है, लेकिन अभी तक केवल 70 फीसद वनस्पतियों की पहचान ही हो पाई है। 30 फीसद अब भी गुमनाम हैं। यानी इनका वर्गीकरण और नामकरण नहीं हो सका है।
• केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीएसआइआर) के लखनऊ, उप्र स्थित घटक राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआइ) द्वारा नागालैंड व मणिपुर में पाए जाने वाले पांच ऐसे फूलों की पहचान की गई है, जो अब तक पुष्प जगत के वर्गीकरण (टेक्सोनॉमी) में दर्ज नहीं थे। विश्व इन फूलों को अब एनबीआरआइ द्वारा दिए गए नामों से जानेगा। इनका वर्गीकरण-नामकरण जल्द होगा।
• पूर्वोत्तर के राज्य जैव विविधता की दृष्टि से बेहद धनी हैं। इस विशिष्टता को उभार कर एनबीआरआइ इस क्षेत्र की तस्वीर बदलने के लिए काम कर रहा है। डिपार्टमेंट ऑफ बायो टेक्नोलॉजी (डीबीटी) के इम्फाल स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ बायो रिसोर्सेस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट (आइबीएसडी) के निदेशक दीनबंधु साहू के सहयोग से एनबीआरआइ नागालैंड व मणिपुर में मौजूद छोटे से लेकर बड़े पेड़ों तक का विस्तृत डाटा बेस तैयार कर रहा है। इसी कोशिश में वैज्ञानिकों को फूलों की ऐसी पांच प्रजातियां मिली हैं, जो भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक टेक्सोनॉमी में अभी तक दर्ज नहीं हैं।
• एनबीआरआइ के एंजियोस्पर्म टेक्सोनॉमी हर्बेरियम डिवीजन की असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियंका अग्निहोत्री बताती हैं कि यह पहली बार है जब पूवरेत्तर के जैव विविधता का वृहद स्तर पर डाटा बेस तैयार किया जा रहा है। वर्गीकरण में पादप प्रजातियों के एंजियोस्पर्म, ब्रायोफाइट, लाइकेन व टेरीडोफाइट्स समुदायों को शामिल किया गया है।
• वैज्ञानिकों की टीम ने यहां से करीब 3500 पौधे एकत्र किए हैं, जिसमें से पचास फीसद पौधों का विस्तृत डाटा बेस तैयार कर लिया गया है। इसमें पौधों का माइक्रोस्कोपिक विवरण, औषधि के रूप में प्रयोग आदि हर तरह की जानकारी को कलमबद्ध किया जा रहा है। जो प्रजातियां खतरे में हैं, उनका संरक्षण किया जा रहा है।
• कुदरत ने पेड़-पौधों के रूप में पृथ्वी को अनगिनत तोहफों से नवाजा है, लेकिन अभी तक केवल 70 फीसद वनस्पतियों की पहचान ही हो पाई है। 30 फीसद अब भी गुमनाम हैं। यानी इनका वर्गीकरण और नामकरण नहीं हो सका है।
• केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीएसआइआर) के लखनऊ, उप्र स्थित घटक राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआइ) द्वारा नागालैंड व मणिपुर में पाए जाने वाले पांच ऐसे फूलों की पहचान की गई है, जो अब तक पुष्प जगत के वर्गीकरण (टेक्सोनॉमी) में दर्ज नहीं थे। विश्व इन फूलों को अब एनबीआरआइ द्वारा दिए गए नामों से जानेगा। इनका वर्गीकरण-नामकरण जल्द होगा।
• पूर्वोत्तर के राज्य जैव विविधता की दृष्टि से बेहद धनी हैं। इस विशिष्टता को उभार कर एनबीआरआइ इस क्षेत्र की तस्वीर बदलने के लिए काम कर रहा है। डिपार्टमेंट ऑफ बायो टेक्नोलॉजी (डीबीटी) के इम्फाल स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ बायो रिसोर्सेस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट (आइबीएसडी) के निदेशक दीनबंधु साहू के सहयोग से एनबीआरआइ नागालैंड व मणिपुर में मौजूद छोटे से लेकर बड़े पेड़ों तक का विस्तृत डाटा बेस तैयार कर रहा है। इसी कोशिश में वैज्ञानिकों को फूलों की ऐसी पांच प्रजातियां मिली हैं, जो भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक टेक्सोनॉमी में अभी तक दर्ज नहीं हैं।
• एनबीआरआइ के एंजियोस्पर्म टेक्सोनॉमी हर्बेरियम डिवीजन की असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियंका अग्निहोत्री बताती हैं कि यह पहली बार है जब पूवरेत्तर के जैव विविधता का वृहद स्तर पर डाटा बेस तैयार किया जा रहा है। वर्गीकरण में पादप प्रजातियों के एंजियोस्पर्म, ब्रायोफाइट, लाइकेन व टेरीडोफाइट्स समुदायों को शामिल किया गया है।
• वैज्ञानिकों की टीम ने यहां से करीब 3500 पौधे एकत्र किए हैं, जिसमें से पचास फीसद पौधों का विस्तृत डाटा बेस तैयार कर लिया गया है। इसमें पौधों का माइक्रोस्कोपिक विवरण, औषधि के रूप में प्रयोग आदि हर तरह की जानकारी को कलमबद्ध किया जा रहा है। जो प्रजातियां खतरे में हैं, उनका संरक्षण किया जा रहा है।