Current Affairs
• वह स्थान जहां देश का पहला एयरपोर्ट बनाया जा रहा है जिसके रनवे के नीचे से गुज़रेगा नैशनल हाइवे – वाराणसी
• उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत इस कम्पनी की फूड पार्क के लिए ग्रेटर नोएडा में दी गई ज़मीन का आवंटन रद्द कर दिया है – पतंजलि
• देश की पहली नेत्रहीन महिला आईएएस जो केरल में सहायक कलेक्टर बनीं - प्रांजल पाटिल
• वह राज्य जहां सरकारी कार्यालयों में एक बार प्रयोग होने वाली पानी की प्लास्टिक बोतलों पर बैन लगा दिया गया है – हरियाणा
• माइक्रोफाइनेंस फर्म भारत फाइनेंशियल और इस बैंक के विलय को हाल ही में बीएसई-एनएसई द्वारा मंजूरी प्राप्त हुई – इंडसइंड बैंक
• वह दूरसंचार कम्पनी जिसे दूरसंचार विभाग ने 100% एफडीआई की अनुमति प्रदान की – आइडिया
• केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय ने इस संग्रहालय की स्थापना के लिए तीन उच्च स्तरीय पैनल का गठन किया – भारत के प्रधानमंत्री संग्रहालय
• पर्यावरण दिवस पर जारी की गई पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई) की रेटिंग में भारत को मिला स्थान – 177
• केंद्र सरकार द्वारा इतने बैंकों का विलय करके नया बैंक बनाया का सकता है – चार
• इन्हें हाल ही में गो-एयर का सीईओ नियुक्त किया गया - कॉर्नेलिस रिसविक
1.वैश्विक शांति सूचकांक में भारत 137वें स्थान पर
• हिंसक अपराध के स्तर में कमी के चलते भारत नियंतण्र शांति सूचकांक में चार पायदान ऊपर चढ़कर 137 वें स्थान पर पहुंच गया है। आस्ट्रेलिया विचार मंच ‘‘इंस्टीट्यूट आफ इकोनॉमिक्स एंड पीस’ (आईईपी) की एक रिपोर्ट के अनुसार आइसलैंड विश्व का सबसे शांतिपूर्ण देश बना हुआ है।
• आइसलैंड इस स्थान पर 2008 से ही बना हुआ है। इसके साथ ही पांच सबसे शांतिपूर्ण रैंकिंग वाले देशों में न्यूजीलैंड, आस्ट्रिया, पुर्तगाल और डेनमार्क शामिल हैं। सीरिया विश्व का सबसे कम शांति वाला देश है, वह इस स्थान पर पिछले पांच वर्षों से कायम है।
• अफगानिस्तान , दक्षिण सूडान , इराक और सोमालिया अन्य सबसे कम शांति वाले देशों में हैं।भारत की स्थिति में चार पायदान का सुधार हुआ है और उसकी समग्र रैंकिंग 141 वें स्थान से अब 137 वीं हो गई है। इंस्टीट्यूट आफ इकोनामिक्स एंड पीस ने कहा, यह मोटे तौर पर कानून प्रवर्तन बढने से हिंसक अपराध के स्तर में कमी आने के चलते हुआ है।
• इस बीच कश्मीर में 2016 के मध्य में अशांति बढ़ने से भारत और उसके पड़ोसी पाकिस्तान के बीच तनाव बढ गया था, बाहरी संघर्ष से दोनों देशों में मृतक संख्या बढ गई। उसने कहा कि ऐसे देश जिन्होंने पिछले 30 वर्षों में भारी हथियारों की क्षमता में सबसे महत्वपूर्ण वृद्धि प्रदर्शित की वे मुख्य रूप से अस्थिर क्षेत्रों में हैं जहां पड़ोसी देशों के साथ बहुत अधिक तनाव है। इनमें मिस, भारत, ईरान, पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया और सीरिया शामिल हैं।
• 2017 वैश्विक शांति सूचकांक का परिणाम दिखाता है कि पिछले वर्ष शांति का वैश्विक स्तर 0.27 प्रतिशत खराब हुआ है। 92 देशों में यह खराब हुआ जबकि 71 देशों में इसमें सुधार हुआ।
• हिंसक अपराध के स्तर में कमी के चलते भारत नियंतण्र शांति सूचकांक में चार पायदान ऊपर चढ़कर 137 वें स्थान पर पहुंच गया है। आस्ट्रेलिया विचार मंच ‘‘इंस्टीट्यूट आफ इकोनॉमिक्स एंड पीस’ (आईईपी) की एक रिपोर्ट के अनुसार आइसलैंड विश्व का सबसे शांतिपूर्ण देश बना हुआ है।
• आइसलैंड इस स्थान पर 2008 से ही बना हुआ है। इसके साथ ही पांच सबसे शांतिपूर्ण रैंकिंग वाले देशों में न्यूजीलैंड, आस्ट्रिया, पुर्तगाल और डेनमार्क शामिल हैं। सीरिया विश्व का सबसे कम शांति वाला देश है, वह इस स्थान पर पिछले पांच वर्षों से कायम है।
• अफगानिस्तान , दक्षिण सूडान , इराक और सोमालिया अन्य सबसे कम शांति वाले देशों में हैं।भारत की स्थिति में चार पायदान का सुधार हुआ है और उसकी समग्र रैंकिंग 141 वें स्थान से अब 137 वीं हो गई है। इंस्टीट्यूट आफ इकोनामिक्स एंड पीस ने कहा, यह मोटे तौर पर कानून प्रवर्तन बढने से हिंसक अपराध के स्तर में कमी आने के चलते हुआ है।
• इस बीच कश्मीर में 2016 के मध्य में अशांति बढ़ने से भारत और उसके पड़ोसी पाकिस्तान के बीच तनाव बढ गया था, बाहरी संघर्ष से दोनों देशों में मृतक संख्या बढ गई। उसने कहा कि ऐसे देश जिन्होंने पिछले 30 वर्षों में भारी हथियारों की क्षमता में सबसे महत्वपूर्ण वृद्धि प्रदर्शित की वे मुख्य रूप से अस्थिर क्षेत्रों में हैं जहां पड़ोसी देशों के साथ बहुत अधिक तनाव है। इनमें मिस, भारत, ईरान, पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया और सीरिया शामिल हैं।
• 2017 वैश्विक शांति सूचकांक का परिणाम दिखाता है कि पिछले वर्ष शांति का वैश्विक स्तर 0.27 प्रतिशत खराब हुआ है। 92 देशों में यह खराब हुआ जबकि 71 देशों में इसमें सुधार हुआ।
2. रिज़र्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा : रेपो रेट बढ़ा, बढ़ेगी इ एम आई
• विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने से महंगाई को लेकर चिंतित भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को मुख्य नीतिगत दर रेपो को 0.25 फीसद बढ़ाकर 6.25 फीसद कर दिया। पिछले चार साल से अधिक समय में आज पहली बार रेपो दर बढ़ाई गई। इससे बैंकों का कर्ज महंगा होगा और मकान, वाहन के कर्ज की ईएमआई बढ़ सकती है।मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन चली बैठक के बाद आज रेपो दर बढ़ाने की घोषणा की गई।
• रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल सहित समिति के सभी छह सदस्यों ने रेपो दर बढ़ाने के पक्ष में अपना मत दिया। रेपो दर वह दर होती है जिस पर केंद्रीय बैंक फौरी जरूरत के लिए बैंकों को नकदी उपलब्ध कराता है। रिवर्स रेपो दर भी इसी अनुपात में बढ़ाकर छह फीसद हो गई। इस दर पर आरबीआई बैंकों से अतिरिक्त नकदी उठाता है।
• रिजर्व बैंक ने इससे पहले 28 जनवरी, 2014 को रेपो दर में वृद्धि की थी। उस समय रेपो दर 0.25 फीसद बढ़ाकर आठ फीसद पर पहुंच गई थी। उसके बाद से इसमें या तो गिरावट आती रही अथवा दर को स्थिर रखा गया। चालू वित्त वर्ष की आज यह दूसरी मौद्रिक नीति समीक्षा की गई। इसमें रिजर्व बैंक ने कच्चे तेल के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति बढ़ने को लेकर चिंता जताई है।
• हालांकि केंद्रीय बैंक ने वर्ष 2018-19 के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 7.4 फीसद पर बरकरार रखा है। रेपो दर में वृद्धि का अनुमान लगाते हुए कई बैंकों ने पहले ही अपनी ब्याज दरों में वृद्धि कर दी। गवर्नर उर्जित पटेल ने बैठक के बाद कहा कि एमपीसी ने मध्यम अवधि में टिकाऊ आधार पर मुद्रास्फीति के चार फीसद लक्ष्य हासिल करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
• उर्जित पटेल ने कहा कि घरेलू आर्थिक गतिविधियों में हाल की तिमाहियों में सुधार आया है और उत्पादन तथा मांग के बीच जो फासला था वह करीब करीब समाप्त हो गया।
• पिछले साढ़े चार साल में नीतिगत दर पहली बार बढ़ाई गई
• रिवर्स रेपो छह फीसद और बैंक दर 6.50 फीसद परद खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल-सितम्बर के लिए 4.8 से 4.9 फीसद रहेगी
• दूसरी छमाही में महंगाई दर 4.7 फीसद रहने का संशोधित अनुमान
• कच्चे तेल के दाम में वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने का खतरा
• कच्चे तेल में उतार-चढ़ाव से मुद्रास्फीति परिदृश्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ी
• निवेश में सुधार, ऋण शोधन एवं दिवाला संहिता से निवेश को बल मिलाद मौद्रिक नीति समिति के सभी सदस्यों ने रेपो दर में 0.25 फीसद वृद्धि का समर्थन किया
• एमपीसी की अगली बैठक 31 जुलाई और एक अगस्त को होगी।
• विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने से महंगाई को लेकर चिंतित भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को मुख्य नीतिगत दर रेपो को 0.25 फीसद बढ़ाकर 6.25 फीसद कर दिया। पिछले चार साल से अधिक समय में आज पहली बार रेपो दर बढ़ाई गई। इससे बैंकों का कर्ज महंगा होगा और मकान, वाहन के कर्ज की ईएमआई बढ़ सकती है।मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन चली बैठक के बाद आज रेपो दर बढ़ाने की घोषणा की गई।
• रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल सहित समिति के सभी छह सदस्यों ने रेपो दर बढ़ाने के पक्ष में अपना मत दिया। रेपो दर वह दर होती है जिस पर केंद्रीय बैंक फौरी जरूरत के लिए बैंकों को नकदी उपलब्ध कराता है। रिवर्स रेपो दर भी इसी अनुपात में बढ़ाकर छह फीसद हो गई। इस दर पर आरबीआई बैंकों से अतिरिक्त नकदी उठाता है।
• रिजर्व बैंक ने इससे पहले 28 जनवरी, 2014 को रेपो दर में वृद्धि की थी। उस समय रेपो दर 0.25 फीसद बढ़ाकर आठ फीसद पर पहुंच गई थी। उसके बाद से इसमें या तो गिरावट आती रही अथवा दर को स्थिर रखा गया। चालू वित्त वर्ष की आज यह दूसरी मौद्रिक नीति समीक्षा की गई। इसमें रिजर्व बैंक ने कच्चे तेल के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति बढ़ने को लेकर चिंता जताई है।
• हालांकि केंद्रीय बैंक ने वर्ष 2018-19 के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 7.4 फीसद पर बरकरार रखा है। रेपो दर में वृद्धि का अनुमान लगाते हुए कई बैंकों ने पहले ही अपनी ब्याज दरों में वृद्धि कर दी। गवर्नर उर्जित पटेल ने बैठक के बाद कहा कि एमपीसी ने मध्यम अवधि में टिकाऊ आधार पर मुद्रास्फीति के चार फीसद लक्ष्य हासिल करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
• उर्जित पटेल ने कहा कि घरेलू आर्थिक गतिविधियों में हाल की तिमाहियों में सुधार आया है और उत्पादन तथा मांग के बीच जो फासला था वह करीब करीब समाप्त हो गया।
• पिछले साढ़े चार साल में नीतिगत दर पहली बार बढ़ाई गई
• रिवर्स रेपो छह फीसद और बैंक दर 6.50 फीसद परद खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल-सितम्बर के लिए 4.8 से 4.9 फीसद रहेगी
• दूसरी छमाही में महंगाई दर 4.7 फीसद रहने का संशोधित अनुमान
• कच्चे तेल के दाम में वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने का खतरा
• कच्चे तेल में उतार-चढ़ाव से मुद्रास्फीति परिदृश्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ी
• निवेश में सुधार, ऋण शोधन एवं दिवाला संहिता से निवेश को बल मिलाद मौद्रिक नीति समिति के सभी सदस्यों ने रेपो दर में 0.25 फीसद वृद्धि का समर्थन किया
• एमपीसी की अगली बैठक 31 जुलाई और एक अगस्त को होगी।
3. सहकारी बैंक बनेंगे लघु वित्तीय बैंक
• बदलते बैंकिंग माहौल में अपना कारोबार बचाने में जुटे देश के दर्जनों शहरी सहकारी बैंकों के सामने आरबीआई ने एक नई राह खोल दी है। ये बैंक चाहें तो वे अब स्मॉल फाइनेंस बैंक (एसएफबी) में तब्दील हो सकते हैं। इसके लिए इन बैंकों पर कोई बाहरी दबाव नहीं होगा बल्कि उन्हें स्वैच्छिक तौर पर इसे स्वीकार करना होगा।
• मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान बुधवार को आरबीआइ की तरफ से नीतिगत बदलाव संबंधी जो कुछ घोषणाएं की गई हैं, उनमें इस बात का जिक्र किया गया है। अगर शहरी सरकारी बैंक (यूसीबी) एसएफबी में तब्दील होते हैं तो इससे उन्हें पूरे भारत में अपना विस्तार करने का मौका मिलेगा लेकिन इनके कार्याधिकार थोड़े सीमित होंगे। मसलन, ये बड़े उद्योगों को कर्ज नहीं दे सकेंगे। आरबीआइ ने कहा है कि अगले सितंबर तक इस बारे में विस्तृत दिशानिर्देश जारी होंगे।
• भुगतान प्रणाली के लिए नई नीति : आरबीआइ ने यह भी कहा है कि खुदरा भुगतान व्यवस्था को ज्यादा दुरुस्त करने के लिए भी एक नई नीति लाने की तैयारी है। इसके तहत भुगतान व्यवस्था में जोखिम को भी कम किया जाएगा और कंपनियों को पूरे भारत में भुगतान से संबंधित ढांचा लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
• दृष्टिहीनों के पहचानने योग्य होंगे नोट : आरबीआइ ने यह भी कहा है कि वह भविष्य में ऐसे नोट बनाने जा रहा है जिसे वे लोग भी आसानी से पहचान सके, जिनकी आंखों में रोशनी नहीं होती है।
• बदलते बैंकिंग माहौल में अपना कारोबार बचाने में जुटे देश के दर्जनों शहरी सहकारी बैंकों के सामने आरबीआई ने एक नई राह खोल दी है। ये बैंक चाहें तो वे अब स्मॉल फाइनेंस बैंक (एसएफबी) में तब्दील हो सकते हैं। इसके लिए इन बैंकों पर कोई बाहरी दबाव नहीं होगा बल्कि उन्हें स्वैच्छिक तौर पर इसे स्वीकार करना होगा।
• मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान बुधवार को आरबीआइ की तरफ से नीतिगत बदलाव संबंधी जो कुछ घोषणाएं की गई हैं, उनमें इस बात का जिक्र किया गया है। अगर शहरी सरकारी बैंक (यूसीबी) एसएफबी में तब्दील होते हैं तो इससे उन्हें पूरे भारत में अपना विस्तार करने का मौका मिलेगा लेकिन इनके कार्याधिकार थोड़े सीमित होंगे। मसलन, ये बड़े उद्योगों को कर्ज नहीं दे सकेंगे। आरबीआइ ने कहा है कि अगले सितंबर तक इस बारे में विस्तृत दिशानिर्देश जारी होंगे।
• भुगतान प्रणाली के लिए नई नीति : आरबीआइ ने यह भी कहा है कि खुदरा भुगतान व्यवस्था को ज्यादा दुरुस्त करने के लिए भी एक नई नीति लाने की तैयारी है। इसके तहत भुगतान व्यवस्था में जोखिम को भी कम किया जाएगा और कंपनियों को पूरे भारत में भुगतान से संबंधित ढांचा लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
• दृष्टिहीनों के पहचानने योग्य होंगे नोट : आरबीआइ ने यह भी कहा है कि वह भविष्य में ऐसे नोट बनाने जा रहा है जिसे वे लोग भी आसानी से पहचान सके, जिनकी आंखों में रोशनी नहीं होती है।
4. भूजल संरक्षण के लिए विश्व बैंक देगा छह हजार करोड़
• सरकार की भूजल संकट समाधान योजना को गति देने के वास्ते विश्व बैंक ने अटल भूजल परियोजना के तहत 6,000 करोड़ रुपये की सहायता देने को मंजूरी प्रदान कर दी है।जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने आज यहां बताया कि इस निधि का इस्तेमाल देश के बड़े हिस्से में भूजल संसाधनों को बढ़ाने के लिए किया जायेगा।
• योजना के तहत सामुदायिक सहयोग से भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए काम किया जायेगा। यह योजना पांच साल की अवधि के लिए है और इसे 2018-19 से 2022-23 के बीच क्रियान्वित किया जाना है। योजना के प्रस्तावों को वित्तीय व्यय समिति से मंजूरी मिल चुकी है और अब इसे जल्द ही मंत्रिमंडल की स्वीकृति के लिए पेश किया जायेगा।
• विश्व बैंक से मिलने वाली यह निधि भूजल के लिए राज्यों में काम करने वाले संस्थानों को उपलब्ध करायी जायेगी तथा भूजल को बढावा देने के लिए सामुदायिक सहभागिता को बढावा दिया जायेगा। अटल भूजल योजना के तहत प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान की जा चुकी है।
• ये सभी क्षेत्र गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश में और इन राज्यों के 78 जिलों में 8,350 ग्राम पंचायतों को इस योजना का विशेष लाभ मिलेगा।
• सरकार की भूजल संकट समाधान योजना को गति देने के वास्ते विश्व बैंक ने अटल भूजल परियोजना के तहत 6,000 करोड़ रुपये की सहायता देने को मंजूरी प्रदान कर दी है।जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने आज यहां बताया कि इस निधि का इस्तेमाल देश के बड़े हिस्से में भूजल संसाधनों को बढ़ाने के लिए किया जायेगा।
• योजना के तहत सामुदायिक सहयोग से भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए काम किया जायेगा। यह योजना पांच साल की अवधि के लिए है और इसे 2018-19 से 2022-23 के बीच क्रियान्वित किया जाना है। योजना के प्रस्तावों को वित्तीय व्यय समिति से मंजूरी मिल चुकी है और अब इसे जल्द ही मंत्रिमंडल की स्वीकृति के लिए पेश किया जायेगा।
• विश्व बैंक से मिलने वाली यह निधि भूजल के लिए राज्यों में काम करने वाले संस्थानों को उपलब्ध करायी जायेगी तथा भूजल को बढावा देने के लिए सामुदायिक सहभागिता को बढावा दिया जायेगा। अटल भूजल योजना के तहत प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान की जा चुकी है।
• ये सभी क्षेत्र गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश में और इन राज्यों के 78 जिलों में 8,350 ग्राम पंचायतों को इस योजना का विशेष लाभ मिलेगा।
5. भारत अब छोड़ सकेगा भारी उपग्रह
• भारी उपग्रहों को छोड़ने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भू-स्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान योजना के तृतीय संस्करण के विकास को जारी रखते हुए इसके प्रथम चरण को बुधवार को मंजूरी दे दी। इस पर चार हजार तीन सौ अड़तीस करोड़ रपए खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा पोलर उपग्रह प्रक्षेपण योजना के लिए छह हजार पांच सौ तिहत्तर करोड़ रपए की योजना को भी मंजूरी दी गई।
• केंद्रीय मंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि पहले श्रीहरिकोटा से छोटे उपग्रह छोड़े जा पाते थे लेकिन इस योजना को मंजूर किए जाने के बाद चार टन के भार वाले संचार उपग्रह छोड़ सकेंगे। इससे देशी और विदेशी उपग्रह छोड़े जा सकेंगे। पहले भारी उपग्रहों को विदेशी उपग्रह प्रक्षेपण स्टेशनों से छोड़ना पड़ता था। यह योजना ‘‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत लागू की जाएगी।
• इस योजना के तहत 10 प्रक्षेपण यान प्रक्षेपित किए जाएंगे। इसे भारत अंतरिक्ष कार्यक्रम में आत्मनिर्भर हो जायेगा। इस योजना के तहत 2019 से 2024 के बीच ये यान प्रक्षेपित होंगे। इससे ग्रामीण इलाके में इन्टरनेट और डीटीएच एवं वीसेट सेवा का विस्तार होगा। सिंह ने बताया कि विदेशों के बड़े उपग्रह को छोड़ने से राजस्व की भी प्राप्ति होगी।
• उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष कार्यक्रमों में निजी पूंजी निवेश की भी भागीदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पोलर उपग्रह प्रक्षेपण योजना से 43 प्रक्षेपण किये जा चुके हैं। अब इस योजना को बढ़ने के लिए 6573 हजार करोड़ रपए मंजूर किए गए हैं।उन्होंने बताया कि अक्टूबर-नवम्बर में चन्द्रयान-दो योजना को भी शुरू की जाएगी।
• चंद्रयान योजना से चन्द्रमा का पानी का पता लगाया था जबकि अमेरिका ने जब पहली बार चांद पर नील आर्मस्ट्रांग को उतरा था, तब पानी का पता नहीं चला था।
• उन्होंने मंगलयान योजना का जिक्र करते हुए कहा कि यह यान अपनी अवधि बीत जाने के बाद भी काम कर रहा है और नासा भी भारत से उसके भेजे गए चित्रों एवं जानकारी को ले रहा है।
• भारी उपग्रहों को छोड़ने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भू-स्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान योजना के तृतीय संस्करण के विकास को जारी रखते हुए इसके प्रथम चरण को बुधवार को मंजूरी दे दी। इस पर चार हजार तीन सौ अड़तीस करोड़ रपए खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा पोलर उपग्रह प्रक्षेपण योजना के लिए छह हजार पांच सौ तिहत्तर करोड़ रपए की योजना को भी मंजूरी दी गई।
• केंद्रीय मंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि पहले श्रीहरिकोटा से छोटे उपग्रह छोड़े जा पाते थे लेकिन इस योजना को मंजूर किए जाने के बाद चार टन के भार वाले संचार उपग्रह छोड़ सकेंगे। इससे देशी और विदेशी उपग्रह छोड़े जा सकेंगे। पहले भारी उपग्रहों को विदेशी उपग्रह प्रक्षेपण स्टेशनों से छोड़ना पड़ता था। यह योजना ‘‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत लागू की जाएगी।
• इस योजना के तहत 10 प्रक्षेपण यान प्रक्षेपित किए जाएंगे। इसे भारत अंतरिक्ष कार्यक्रम में आत्मनिर्भर हो जायेगा। इस योजना के तहत 2019 से 2024 के बीच ये यान प्रक्षेपित होंगे। इससे ग्रामीण इलाके में इन्टरनेट और डीटीएच एवं वीसेट सेवा का विस्तार होगा। सिंह ने बताया कि विदेशों के बड़े उपग्रह को छोड़ने से राजस्व की भी प्राप्ति होगी।
• उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष कार्यक्रमों में निजी पूंजी निवेश की भी भागीदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पोलर उपग्रह प्रक्षेपण योजना से 43 प्रक्षेपण किये जा चुके हैं। अब इस योजना को बढ़ने के लिए 6573 हजार करोड़ रपए मंजूर किए गए हैं।उन्होंने बताया कि अक्टूबर-नवम्बर में चन्द्रयान-दो योजना को भी शुरू की जाएगी।
• चंद्रयान योजना से चन्द्रमा का पानी का पता लगाया था जबकि अमेरिका ने जब पहली बार चांद पर नील आर्मस्ट्रांग को उतरा था, तब पानी का पता नहीं चला था।
• उन्होंने मंगलयान योजना का जिक्र करते हुए कहा कि यह यान अपनी अवधि बीत जाने के बाद भी काम कर रहा है और नासा भी भारत से उसके भेजे गए चित्रों एवं जानकारी को ले रहा है।
6. रोहिंग्याओं की वापसी पर म्यांमार-यूएन में समझौता
• म्यांमार और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने आज एक समझौते पर हस्ताक्षर किये जो कि म्यांमार में सुरक्षाबलों के अत्याचार के चलते देश छोड़कर चले गए 7 लाख रो¨हग्या मुस्लिमों की वापसी में सहायक हो सकता है। यह रो¨हग्या मुस्लिम बांग्लादेश में अस्थाई शिविरों में रह रहे हैं।इस सहमतिपत्र में एक ‘‘सहयोग की रूपरेखा’ बनाने पर सहमति बनी है जिसका उद्देश्य रोहिंग्या शरणार्थियों की ‘‘स्वैच्छिक, सुरक्षित, सम्मानित और स्थायी’ वापसी के लिए स्थितियां निर्मित करना है।
• म्यांमार के सुरक्षाबलों पर पश्चिमी रखाइन प्रांत में बलात्कार, हत्या, प्रताड़ना और रो¨हग्या के घरों को जलाने के आरोप हैं जहां अधिकतर रो¨हग्या रहते थे। संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने गत वर्ष अगस्त में शुरू हुई कार्रवाई को ‘‘जातीय सफाया’ करार दिया था। म्यांमार और बांग्लादेश गत नवम्बर में रो¨हग्या की स्वदेश वापसी शुरू करने पर सहमत हुए थे। म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र के रेजीडेंट एंड ह्यूमैनिटैरियन कोआर्डिनेटर के. ओस्तबी ने कहा, यह समझौता इस संकट के समाधान में पहला महत्वपूर्ण कदम है।
• उन्होंने कहा, काफी काम करने हैं। इस कार्य के महत्व को कमतर करके नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, हम करीब 7 लाख लोगों की बात कर रहे हैं जिन्हें न केवल वापस लौटना होगा बल्कि उनकी वापसी के लिए स्थितियां भी सही होनी चाहिए। यह स्थितियां समाज में उनकी पहचान, उनकी सुरक्षा और उनकी सेवाओं, आजीविका और रहने के एक स्थान के संबंध में है।
• म्यांमार और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने आज एक समझौते पर हस्ताक्षर किये जो कि म्यांमार में सुरक्षाबलों के अत्याचार के चलते देश छोड़कर चले गए 7 लाख रो¨हग्या मुस्लिमों की वापसी में सहायक हो सकता है। यह रो¨हग्या मुस्लिम बांग्लादेश में अस्थाई शिविरों में रह रहे हैं।इस सहमतिपत्र में एक ‘‘सहयोग की रूपरेखा’ बनाने पर सहमति बनी है जिसका उद्देश्य रोहिंग्या शरणार्थियों की ‘‘स्वैच्छिक, सुरक्षित, सम्मानित और स्थायी’ वापसी के लिए स्थितियां निर्मित करना है।
• म्यांमार के सुरक्षाबलों पर पश्चिमी रखाइन प्रांत में बलात्कार, हत्या, प्रताड़ना और रो¨हग्या के घरों को जलाने के आरोप हैं जहां अधिकतर रो¨हग्या रहते थे। संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने गत वर्ष अगस्त में शुरू हुई कार्रवाई को ‘‘जातीय सफाया’ करार दिया था। म्यांमार और बांग्लादेश गत नवम्बर में रो¨हग्या की स्वदेश वापसी शुरू करने पर सहमत हुए थे। म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र के रेजीडेंट एंड ह्यूमैनिटैरियन कोआर्डिनेटर के. ओस्तबी ने कहा, यह समझौता इस संकट के समाधान में पहला महत्वपूर्ण कदम है।
• उन्होंने कहा, काफी काम करने हैं। इस कार्य के महत्व को कमतर करके नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, हम करीब 7 लाख लोगों की बात कर रहे हैं जिन्हें न केवल वापस लौटना होगा बल्कि उनकी वापसी के लिए स्थितियां भी सही होनी चाहिए। यह स्थितियां समाज में उनकी पहचान, उनकी सुरक्षा और उनकी सेवाओं, आजीविका और रहने के एक स्थान के संबंध में है।
7. पीएम आवास योजना में बढ़ेगी कर्ज की सीमा
• आरबीआई ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उपलब्ध बैंक ऋण की अधिकतम सीमा 25 फीसद बढ़ाने का फैसला किया है।
• केंद्रीय बैंक की दूसरी मौद्रिक नीति समिति की चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक बैठक के बाद बुधवार को विकास एवं नियामक नीतियों पर जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के दिशानिर्देशों के अनुरूप मकान के निर्माण के लिए अब बैंक शहरी इलाकों (10 लाख या ज्यादा की आबादी वाले शहरों) में 35 लाख रूपये और ग्रामीण इलाकों में 25 लाख रूपये तक का आवास ऋण दे सकेंगे।
• योजना के तहत ये ऋण प्राथमिकता वाले सेक्टर की श्रेणी में दिए जाते हैं। पहले यह सीमा क्रमश: 28 लाख रपए और 20 लाख रूपये थी। इसके लिए शर्त यह है कि मकान की कुल लागत शहरी क्षेत्रों में 45 लाख रपए और ग्रामीण क्षेत्रों में 30 लाख रपए से ज्यादा न हो। इसके लिए 30 जून तक सकरुलर जारी करने की बात कही गई है।
• आरबीआई ने कहा है कि आवास ऋण के आंकड़ों के विश्लेषण में यह भी पाया है कि दो लाख रपए तक के आवास ऋण में गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) का फीसद काफी ज्यादा है और यह तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए बैंकों को इस राशि तक के आवास ऋण जारी करते समय ग्राहकों की पात्रता आदि की जांच में काफी ध्यान देने की जरूरत है।
• उसने कहा कि केंद्रीय बैंक स्थिति पर नजदीकी नजर रखे हुए है और यदि जरूरत हुई तो इसके लिए नीतियों में बदलाव कर नियम कड़े भी किए जा सकते हैं।
• आरबीआई ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उपलब्ध बैंक ऋण की अधिकतम सीमा 25 फीसद बढ़ाने का फैसला किया है।
• केंद्रीय बैंक की दूसरी मौद्रिक नीति समिति की चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक बैठक के बाद बुधवार को विकास एवं नियामक नीतियों पर जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के दिशानिर्देशों के अनुरूप मकान के निर्माण के लिए अब बैंक शहरी इलाकों (10 लाख या ज्यादा की आबादी वाले शहरों) में 35 लाख रूपये और ग्रामीण इलाकों में 25 लाख रूपये तक का आवास ऋण दे सकेंगे।
• योजना के तहत ये ऋण प्राथमिकता वाले सेक्टर की श्रेणी में दिए जाते हैं। पहले यह सीमा क्रमश: 28 लाख रपए और 20 लाख रूपये थी। इसके लिए शर्त यह है कि मकान की कुल लागत शहरी क्षेत्रों में 45 लाख रपए और ग्रामीण क्षेत्रों में 30 लाख रपए से ज्यादा न हो। इसके लिए 30 जून तक सकरुलर जारी करने की बात कही गई है।
• आरबीआई ने कहा है कि आवास ऋण के आंकड़ों के विश्लेषण में यह भी पाया है कि दो लाख रपए तक के आवास ऋण में गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) का फीसद काफी ज्यादा है और यह तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए बैंकों को इस राशि तक के आवास ऋण जारी करते समय ग्राहकों की पात्रता आदि की जांच में काफी ध्यान देने की जरूरत है।
• उसने कहा कि केंद्रीय बैंक स्थिति पर नजदीकी नजर रखे हुए है और यदि जरूरत हुई तो इसके लिए नीतियों में बदलाव कर नियम कड़े भी किए जा सकते हैं।
8. अक्टूबर तक लांच होगा चंद्रयान-2
• भारत अंतरिक्ष में बड़ी छलांग लगाने की तैयारी में है। चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं और इसे सितंबर-अक्टूबर में लांच किया जा सकता है।
• प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बुधवार को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण सफल रहने पर अब चंदा मामा दूर के नहीं रहेंगें। चंद्रयान-2 से चांद पर जीवन तलाशने की संभावनाओं को बल मिलेगा।
• पीएम मोदी के न्यू इंडिया के सपने को साकार करने के लिए सरकार ने अंतरिक्ष अध्ययनों की जरूरतों पर जोर दिया है। इसके तहत सरकार की ओर से सेटेलाइट लांचिंग पैड की क्षमता बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए सरकार पीएसएलवी (पोलर सेटेलाइट लांच व्हीकल) के लिए कुल 6,131 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी। वहीं जीएसएलवी (जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हीकल) एमके-3 के लिए 4,338 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
• लांचिंग पैड की क्षमता बढ़ने से देश में चार हजार टन से अधिक क्षमता के सेटेलाइट प्रक्षेपित किए जा सकेंगे। साथ ही बड़े सेटेलाइट लांच करने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इससे पहले भारत की ओर से चंद्रयान-1 को सफलतापूर्वक चांद पर भेजा जा चुका है।
• वर्ष 2008 के अक्टूबर में प्रक्षेपित चंद्रयान-1 ने पानी की संभावनाओं की तलाश की थी।जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : भारत अंतरिक्ष में बड़ी छलांग लगाने की तैयारी में है। चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं और इसे सितंबर-अक्टूबर में लांच किया जा सकता है।
• भारत अंतरिक्ष में बड़ी छलांग लगाने की तैयारी में है। चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं और इसे सितंबर-अक्टूबर में लांच किया जा सकता है।
• प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बुधवार को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण सफल रहने पर अब चंदा मामा दूर के नहीं रहेंगें। चंद्रयान-2 से चांद पर जीवन तलाशने की संभावनाओं को बल मिलेगा।
• पीएम मोदी के न्यू इंडिया के सपने को साकार करने के लिए सरकार ने अंतरिक्ष अध्ययनों की जरूरतों पर जोर दिया है। इसके तहत सरकार की ओर से सेटेलाइट लांचिंग पैड की क्षमता बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए सरकार पीएसएलवी (पोलर सेटेलाइट लांच व्हीकल) के लिए कुल 6,131 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी। वहीं जीएसएलवी (जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हीकल) एमके-3 के लिए 4,338 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
• लांचिंग पैड की क्षमता बढ़ने से देश में चार हजार टन से अधिक क्षमता के सेटेलाइट प्रक्षेपित किए जा सकेंगे। साथ ही बड़े सेटेलाइट लांच करने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इससे पहले भारत की ओर से चंद्रयान-1 को सफलतापूर्वक चांद पर भेजा जा चुका है।
• वर्ष 2008 के अक्टूबर में प्रक्षेपित चंद्रयान-1 ने पानी की संभावनाओं की तलाश की थी।जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : भारत अंतरिक्ष में बड़ी छलांग लगाने की तैयारी में है। चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं और इसे सितंबर-अक्टूबर में लांच किया जा सकता है।
9. भारत-थाईलैंड सेना के बीच युद्धाभ्यास अगस्त में होगा शुरू
• भारतीय सेना और रॉयल थाईलैंड सेना के बीच 14 दिन तक चलने वाला युद्धाभ्यास अगस्त में होने जा रहा है। 14 दिवसीय संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण थाईलैंड में शुरू होगा। ‘मैत्री-2018’ नामक संयुक्त सैन्य अभ्यास में थाईलैंड आर्मी के 50 से अधिक सैनिक हिस्सा लेंगे। जिसमें एक जनरल, छह अधिकारी और दो पर्यवेक्षक सहित 39 जवानों के भाग लेने की संभावना है।
• बता दे कि 14 दिनों तक चलने वाले इस अभ्यास का उद्देश्य भारतीय सेना और रॉयल थाईलैंड सेना के बीच समन्वय स्थापित करना और अपनी योग्यता का आदान-प्रदान करना है। दोनों सेनाओं के मध्य संयुक्त सैन्य अभ्यास को मैत्री नाम दिया गया है। इससे पहले संयुक्त सैन्य अभ्यास 2017 में चंबा के बकलोह के छावनी क्षेत्र में हुआ था।
• भारत और थाईलैंड के रिश्तों की कड़ी में यह संयुक्त सैन्य अभ्यास एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता रहा है। इस सैन्य अभ्यास को इस तरीके से आयोजित किया गया है जिससे कि दोनों देशों के सैनिक आपात स्थिति से निपटने और आतंकवाद विरोधी गतिविधियों के खिलाफ चलाए जाने वाले अभियान से परिचित हो सकें।
• इस दौरान एक-दूसरे से सामंजस्य तथा तकनीकी सूझ-बूझ के बारे में गहराई से समझ सकें। अभ्यास के दौरान दोनों देशों की सेनाओं को अभ्यास की प्रणाली, हथियारों, साजो-सामान और कमान तथा कंट्रोल सिस्टम से अवगत कराया जाएगा। भारत और थाईलैंड का यह संयुक्त सैन्य अभ्यास मैत्री सैन्य सहयोग का एक महत्वपूर्ण कदम है।
• इस प्रकार के संयुक्त युद्ध अभ्यास से दोनों देशों के संबंध मजबूत हुए हैं। साथ ही एक दूसरे की संस्कृति और भाषाओं का भी ज्ञान प्राप्त करने का मौका मिलता है।
• मैत्री अभ्यास के दौरान जवानों को विभिन्न प्रकार के खेलों तथा आतंक से निपटने के लिए विभिन्न गतिविधियों का अभ्यास करवाया जाएगा। जवानों को आतंकियों की पहचान करने की बारीकियों की जानकारी भी दी जाएगी। साथ ही उनसे निपटने की रणनीति तैयार करने के बारे में बताया जाएगा।
• भारतीय सेना और रॉयल थाईलैंड सेना के बीच 14 दिन तक चलने वाला युद्धाभ्यास अगस्त में होने जा रहा है। 14 दिवसीय संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण थाईलैंड में शुरू होगा। ‘मैत्री-2018’ नामक संयुक्त सैन्य अभ्यास में थाईलैंड आर्मी के 50 से अधिक सैनिक हिस्सा लेंगे। जिसमें एक जनरल, छह अधिकारी और दो पर्यवेक्षक सहित 39 जवानों के भाग लेने की संभावना है।
• बता दे कि 14 दिनों तक चलने वाले इस अभ्यास का उद्देश्य भारतीय सेना और रॉयल थाईलैंड सेना के बीच समन्वय स्थापित करना और अपनी योग्यता का आदान-प्रदान करना है। दोनों सेनाओं के मध्य संयुक्त सैन्य अभ्यास को मैत्री नाम दिया गया है। इससे पहले संयुक्त सैन्य अभ्यास 2017 में चंबा के बकलोह के छावनी क्षेत्र में हुआ था।
• भारत और थाईलैंड के रिश्तों की कड़ी में यह संयुक्त सैन्य अभ्यास एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता रहा है। इस सैन्य अभ्यास को इस तरीके से आयोजित किया गया है जिससे कि दोनों देशों के सैनिक आपात स्थिति से निपटने और आतंकवाद विरोधी गतिविधियों के खिलाफ चलाए जाने वाले अभियान से परिचित हो सकें।
• इस दौरान एक-दूसरे से सामंजस्य तथा तकनीकी सूझ-बूझ के बारे में गहराई से समझ सकें। अभ्यास के दौरान दोनों देशों की सेनाओं को अभ्यास की प्रणाली, हथियारों, साजो-सामान और कमान तथा कंट्रोल सिस्टम से अवगत कराया जाएगा। भारत और थाईलैंड का यह संयुक्त सैन्य अभ्यास मैत्री सैन्य सहयोग का एक महत्वपूर्ण कदम है।
• इस प्रकार के संयुक्त युद्ध अभ्यास से दोनों देशों के संबंध मजबूत हुए हैं। साथ ही एक दूसरे की संस्कृति और भाषाओं का भी ज्ञान प्राप्त करने का मौका मिलता है।
• मैत्री अभ्यास के दौरान जवानों को विभिन्न प्रकार के खेलों तथा आतंक से निपटने के लिए विभिन्न गतिविधियों का अभ्यास करवाया जाएगा। जवानों को आतंकियों की पहचान करने की बारीकियों की जानकारी भी दी जाएगी। साथ ही उनसे निपटने की रणनीति तैयार करने के बारे में बताया जाएगा।