Current Affairs
1) RBI ने 1 जून 2018 से "वित्तीय साक्षरता सप्ताह" का प्रारंभ किया। इस सप्ताह के लिए क्या थीम चयनित किया गया है - "उपभोक्ता संरक्षण"
# इसमें आरबीआई बैंक ग्राहकों को वित्तीय उत्पादों तथा सेवाओं के बारे में जागरुकता फैलाने के अलावा उत्कृष्ठ वित्तीय तौर-तरीकों तथा डिज़िटल तरीके अपनाने के बारे में तमाम महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान करेगा।
# "वित्तीय साक्षरता सप्ताह" के दौरान इस बार "उपभोक्ता संरक्षण" के बारे में अधिक जानकारियाँ प्रदान की जायेंगी। इसमें अनाधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेन-देन होने की स्थिति में ग्राहकों की अधिकतम देयताओं के बारे में बताया जायेगा तथा सुरक्षित डिज़िटल लेन-देन के बारे में जानकारियाँ प्रदान की जायेंगी।
----
----
2) 31 मई 2018 को केन्द्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017-18 की जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.7% रही जोकि पिछली 7 तिमाहियों की सर्वाधिक वृद्धि दर है। वर्ष 2017-18 की कुल वृद्धि दर कितनी रही – 6.7%
# मैन्यूफैक्चरिंग, निर्माण, सेवा क्षेत्र और कृषि क्षेत्र के रफ्तार पकड़ने के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था ने वर्ष 2017-18 की जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान पिछली 7 तिमाहियों का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 7.7% की शानदार वृद्धि दर हासिल की।
# हालांकि वर्ष 2017-18 की कुल वृद्धि दर पिछले वर्ष (2016-17) की 7.1% की वृद्धि दर के मुकाबले 6.7% रहकर कुछ कमजोर रही जिसका मुख्य कारण केन्द्र सरकार के विमुद्रीकरण और जीएसटी लागू करने के चलते अर्थव्यवस्था को लगे शुरुआती झटकों को माना जा रहा है।
----
3) 1 जून 2018 को जारी जानकारी के अनुसार टाटा कैमिकल्स ने पश्चिम बंगाल स्थित अपनी कौन सी उर्वरक उत्पादन इकाई को बेचकर अपने आपको उर्वरक व्यवसाय से बाहर कर लिया है - हल्दिया उर्वरक
----
3) 1 जून 2018 को जारी जानकारी के अनुसार टाटा कैमिकल्स ने पश्चिम बंगाल स्थित अपनी कौन सी उर्वरक उत्पादन इकाई को बेचकर अपने आपको उर्वरक व्यवसाय से बाहर कर लिया है - हल्दिया उर्वरक
# टाटा समूह की कम्पनी टाटा कैमिकल्स ने हल्दिया में स्थित उर्वरक इकाई को 872.84 करोड़ रुपए के मूल्य पर नीदरलैण्ड्स के इण्डोरामा समूह की कम्पनी को बेच दिया है।
# इस बिक्री के साथ टाटा कैमिकल्स उर्वरक व्यवसाय से बाहर हो गया है तथा कम्पनी द्वारा इस सम्बन्ध में जारी जानकारी के अनुसार अब इनॉर्गेनिक रसायन के अलावा अपना ध्यान विशेष रसायन तथा खाद्य व्यवसाय संवर्ग पर ही देगी।
----
4) भारत में महिलाओं तथा बच्चों से सम्बन्धित अपराधों की फॉरेंसिक जाँच कर ऐसे अपराधों को सजा के दायरे के उद्देश्य को पूरा करने वाली देश की पहली उच्चीकृत डीएनए फॉरेंसिक प्रयोगशाला की आधारशिला 1 जून 2018 को किस स्थान पर रखी गई - चण्डीगढ़
----
4) भारत में महिलाओं तथा बच्चों से सम्बन्धित अपराधों की फॉरेंसिक जाँच कर ऐसे अपराधों को सजा के दायरे के उद्देश्य को पूरा करने वाली देश की पहली उच्चीकृत डीएनए फॉरेंसिक प्रयोगशाला की आधारशिला 1 जून 2018 को किस स्थान पर रखी गई - चण्डीगढ़
# इस प्रस्तावित फॉरेंसिक प्रयोगशाला की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह विशेष रूप से महिला तथा बच्चों से सम्बन्धित अपराधों की पड़ताल के लिए स्थापित की जा रही है।
# यह प्रयोगशाला ऐसे अपराधों के खिलाफ अधिक ठोस तथा न्यायालय में अर्ह प्रमाणों को प्रस्तुत करने में भूमिका निभायेगी।
# देश की 23 प्रयोगशालाओं से एकत्रित आंकड़ों के अनुसार देश भर में प्रतिवर्ष यौनाचार के 20,000 नए मामले सामने आते हैं लेकिन फॉरेंसिक साक्ष्यों तथा विश्लेषण के अभाव में उन्हें न्यायालय में सिद्ध करना मुश्किल होता है।
----
5) 31 मई 2018 को जारी टाइम्स हायर एजूकेशन की वर्ल्स रेप्यूटेशन रैंकिंग्स 2018में नामित दुनिया के 100 सर्वोच्च विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल एकमात्र भारतीय संस्थान कौन सा है - इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (बंगालूरू)
----
5) 31 मई 2018 को जारी टाइम्स हायर एजूकेशन की वर्ल्स रेप्यूटेशन रैंकिंग्स 2018में नामित दुनिया के 100 सर्वोच्च विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल एकमात्र भारतीय संस्थान कौन सा है - इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (बंगालूरू)
# IISc को इस रैंकिंग में 91 से 100 रैंकिंग बैण्ड में रखा गया है। इस सूची में सबसे ऊपर अमेरिका के तीन विश्वविद्यालय – हार्वर्ड ,मैसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी और स्टैनफोर्ड को (क्रमश:) रखा गया है। वहीं ब्रिटेन की कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड चौथे और पांचवें स्थान पर हैं।
# यह वर्ष 2011 के बाद पहली बार हुआ है जब भारत के किसी संस्थान को दुनिया के 100 सर्वश्रेष्ठ संस्थानों की इस सूची में स्थान मिला है।
# उल्लेखनीय है कि टाइम्स हायर एजूकेशन की वर्ल्स रेप्यूटेशन रैंकिंग्स को दुनिया के सबसे विस्तृत व जटिल अकादमिक ओपीनियन सर्वे और अनुसंधान प्रक्रिया द्वारा तैयार किया जाता है।
1.एससीओ बैठक के केंद्र में रहेगा हिन्द -प्रशांत मुद्दा
• शनिवार से चीन के शहर चिंगदाओ में शुरू हो रही शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शीर्ष नेताओं की बैठक भारतीय कूटनीति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण होने जा रही है। हाल के दिनों में जिस तरह से भारत ने चीन और रूस के साथ अपने रिश्तों में नई गर्मजोशी भरी है उसे देखते हुए एससीओ की बैठक की अहमियत बढ़ गई है।
• चीन, रूस, पाकिस्तान व भारत समेत आठ देशों की इस बैठक में हंिदू-प्रशांत (इंडो-पैसिफिक)महासागर से जुड़े मुद्दे केंद्र में होंगे। यह भी एक वजह है कि एससीओ के लिए भारत बेहद सतर्कता से अपनी रणनीति तैयार कर रहा है।
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार सुबह चिंगदाओ पहुंच रहे हैं। वहां एससीओ बैठक में हिस्सा लेने के अलावा मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग व रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से मुलाकात तय है। इन दोनों नेताओं के साथ मोदी की एक महीने के भीतर दूसरी मुलाकात होगी। यह भारत की बदली कूटनीतिक सोच की तरफ भी इशारा करता है।
• भारत स्पष्ट तौर पर इंडो-पैसिफिक मुद्दे पर अपने सारे विकल्प खुले रखना चाहता है। प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर में शांग्रीला डायलॉग में हिन्द -प्रशांत सागर क्षेत्र में टकराव दूर करने के लिए जो फार्मूला दिया है उसकी तारीफ चीन में भी हो रही है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने स्वयं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मोदी के भाषण की तारीफ की है। ऐसे में एससीओ बैठक में हिन्द -प्रशांत क्षेत्र को लेकर कोई बड़ी घोषणा हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं। इस बार की बैठक रूस और चीन के साथ एससीओ के संचालन में भारत की अग्रणी भूमिका को भी तय करेगी।
• क्या सार्क की जगह लेगा एससीओ?:- चीन जिस तरह एससीओ को व्यापक बनाने में जुटा हुआ है उसे देखते हुए कूटनीतिक सर्किल में यह चर्चा की जा रही है कि क्या आने वाले दिनों में एससीओ दक्षिण एशियाई देशों के सहयोग संगठन ‘सार्क’ का स्थान लेगा? हालांकि इसकी संभावना को विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने खारिज किया है, लेकिन एससीओ की भावी योजना को देखें तो तस्वीर साफ होती है।
• मसलन, इस वर्ष नेपाल और श्रीलंका को एक पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल किया गया है। दोनों देश इसमें शामिल होने को तैयार हैं। बांग्लादेश व अफगानिस्तान का नंबर इसके बाद आएगा। जबकि ईरान को बतौर पूर्ण सदस्य शामिल करने की तैयारी है। भारत को भी पिछले वर्ष ही पाकिस्तान के साथ इस संगठन का पूर्णकालिक सदस्य बनाया गया है।
• इसमें शामिल केंद्रीय एशिया के चारों देश (किर्जिगस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाखस्तान व ताजिकिस्तान) को भारत अहम कारोबारी साङोदार देशों के तौर पर देख रहा है। भारत इन चारों देशों को कनेक्टिविटी परियोजना से जोड़ने की योजना बना रहा है। उक्त चारों देशों के साथ रूस भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है।
• एससीओ को ज्यादा महत्व देने की एक वजह यह भी है कि इसमें पाकिस्तान व चीन दोनों हैं।
• शनिवार से चीन के शहर चिंगदाओ में शुरू हो रही शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शीर्ष नेताओं की बैठक भारतीय कूटनीति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण होने जा रही है। हाल के दिनों में जिस तरह से भारत ने चीन और रूस के साथ अपने रिश्तों में नई गर्मजोशी भरी है उसे देखते हुए एससीओ की बैठक की अहमियत बढ़ गई है।
• चीन, रूस, पाकिस्तान व भारत समेत आठ देशों की इस बैठक में हंिदू-प्रशांत (इंडो-पैसिफिक)महासागर से जुड़े मुद्दे केंद्र में होंगे। यह भी एक वजह है कि एससीओ के लिए भारत बेहद सतर्कता से अपनी रणनीति तैयार कर रहा है।
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार सुबह चिंगदाओ पहुंच रहे हैं। वहां एससीओ बैठक में हिस्सा लेने के अलावा मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग व रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से मुलाकात तय है। इन दोनों नेताओं के साथ मोदी की एक महीने के भीतर दूसरी मुलाकात होगी। यह भारत की बदली कूटनीतिक सोच की तरफ भी इशारा करता है।
• भारत स्पष्ट तौर पर इंडो-पैसिफिक मुद्दे पर अपने सारे विकल्प खुले रखना चाहता है। प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर में शांग्रीला डायलॉग में हिन्द -प्रशांत सागर क्षेत्र में टकराव दूर करने के लिए जो फार्मूला दिया है उसकी तारीफ चीन में भी हो रही है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने स्वयं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मोदी के भाषण की तारीफ की है। ऐसे में एससीओ बैठक में हिन्द -प्रशांत क्षेत्र को लेकर कोई बड़ी घोषणा हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं। इस बार की बैठक रूस और चीन के साथ एससीओ के संचालन में भारत की अग्रणी भूमिका को भी तय करेगी।
• क्या सार्क की जगह लेगा एससीओ?:- चीन जिस तरह एससीओ को व्यापक बनाने में जुटा हुआ है उसे देखते हुए कूटनीतिक सर्किल में यह चर्चा की जा रही है कि क्या आने वाले दिनों में एससीओ दक्षिण एशियाई देशों के सहयोग संगठन ‘सार्क’ का स्थान लेगा? हालांकि इसकी संभावना को विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने खारिज किया है, लेकिन एससीओ की भावी योजना को देखें तो तस्वीर साफ होती है।
• मसलन, इस वर्ष नेपाल और श्रीलंका को एक पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल किया गया है। दोनों देश इसमें शामिल होने को तैयार हैं। बांग्लादेश व अफगानिस्तान का नंबर इसके बाद आएगा। जबकि ईरान को बतौर पूर्ण सदस्य शामिल करने की तैयारी है। भारत को भी पिछले वर्ष ही पाकिस्तान के साथ इस संगठन का पूर्णकालिक सदस्य बनाया गया है।
• इसमें शामिल केंद्रीय एशिया के चारों देश (किर्जिगस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाखस्तान व ताजिकिस्तान) को भारत अहम कारोबारी साङोदार देशों के तौर पर देख रहा है। भारत इन चारों देशों को कनेक्टिविटी परियोजना से जोड़ने की योजना बना रहा है। उक्त चारों देशों के साथ रूस भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है।
• एससीओ को ज्यादा महत्व देने की एक वजह यह भी है कि इसमें पाकिस्तान व चीन दोनों हैं।
2. सबको कम कीमत पर मिलेंगी स्वास्थ्य सुविधाएं : मोदी
• गरीबों तक दवाएं न पहुंच पाने को गंभीर चिंता का विषय मानते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार इसका वित्तीय बोझ घटाने को लेकर प्रतिबद्ध है। साथ ही आश्वासन दिया है कि कम कीमत पर स्वास्थ्य सुविधाएं सभी भारतीयों को मिलेंगी। उन्होंने जनभागीदारी से स्वास्थ्य को जनांदोलन बनाने की जरूरत पर बल दिया।
• नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के लाभार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, सरकार अधिक बेड, अधिक अस्पतालों और अधिक डॉक्टरों को उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रही है। गरीब के लिए इलाज को सस्ता करने के लिए सरकार ने एक के बाद एक कई कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री एक ऐप के जरिए जनऔषधि परियोजना, सस्ती कार्डियक स्टेंट और घुटने के सस्ते प्रत्यारोपण का लाभ लेने वालों से रूबरू थे।
• उन्होंने कहा, बीमारी से ना सिर्फ परिवारों पर बड़ा बोझ आता है, बल्कि गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के सामाजिक-आर्थिक दायरे पर भी असर पड़ता है। सरकार प्रयास कर रही है कि हर नागरिक को कम कीमत में स्वास्थ्य सेवा मिलना सुनिश्चित हो। मोदी ने कहा, देश भर में 3,600 जन औषधि केंद्रों को खोला गया है, जहां 700 से अधिक जेनरिक दवाएं बेहद कम दाम पर मिलती हैं। इन केंद्रों पर दवाओं की कीमत बाजार की कीमतों से 50-90 फीसद तक कम होती हैं।
• निकट भविष्य में ऐसे जन औषधि केंद्रों की तादाद 5000 से अधिक हो जाएगी।
• 50 करोड़ लोगों को पांच लाख का बीमा : आयुष्मान भारत की महत्वाकांक्षी योजना पर मोदी ने कहा, इसके तहत दस करोड़ परिवारों (यानी 50 करोड़ से अधिक लोगों) को पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर मिलेगा।
• योजना के तहत ही छोटे गांवों या कस्बों में भी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र खुलेंगे। ताकि लोगों को इलाज के लिए दूर न जाना पड़े। सरकार ने योजना के तहत देश भर में 1.5 लाख स्वास्थ्य केंद्र खोलने का फैसला लिया है।
• प्रधानमंत्री ने कहा-जल्द ही जन औषधि केंद्र 5000 से अधिक होंगे
• गरीबों तक दवाएं न पहुंच पाने को गंभीर चिंता का विषय मानते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार इसका वित्तीय बोझ घटाने को लेकर प्रतिबद्ध है। साथ ही आश्वासन दिया है कि कम कीमत पर स्वास्थ्य सुविधाएं सभी भारतीयों को मिलेंगी। उन्होंने जनभागीदारी से स्वास्थ्य को जनांदोलन बनाने की जरूरत पर बल दिया।
• नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के लाभार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, सरकार अधिक बेड, अधिक अस्पतालों और अधिक डॉक्टरों को उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रही है। गरीब के लिए इलाज को सस्ता करने के लिए सरकार ने एक के बाद एक कई कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री एक ऐप के जरिए जनऔषधि परियोजना, सस्ती कार्डियक स्टेंट और घुटने के सस्ते प्रत्यारोपण का लाभ लेने वालों से रूबरू थे।
• उन्होंने कहा, बीमारी से ना सिर्फ परिवारों पर बड़ा बोझ आता है, बल्कि गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के सामाजिक-आर्थिक दायरे पर भी असर पड़ता है। सरकार प्रयास कर रही है कि हर नागरिक को कम कीमत में स्वास्थ्य सेवा मिलना सुनिश्चित हो। मोदी ने कहा, देश भर में 3,600 जन औषधि केंद्रों को खोला गया है, जहां 700 से अधिक जेनरिक दवाएं बेहद कम दाम पर मिलती हैं। इन केंद्रों पर दवाओं की कीमत बाजार की कीमतों से 50-90 फीसद तक कम होती हैं।
• निकट भविष्य में ऐसे जन औषधि केंद्रों की तादाद 5000 से अधिक हो जाएगी।
• 50 करोड़ लोगों को पांच लाख का बीमा : आयुष्मान भारत की महत्वाकांक्षी योजना पर मोदी ने कहा, इसके तहत दस करोड़ परिवारों (यानी 50 करोड़ से अधिक लोगों) को पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर मिलेगा।
• योजना के तहत ही छोटे गांवों या कस्बों में भी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र खुलेंगे। ताकि लोगों को इलाज के लिए दूर न जाना पड़े। सरकार ने योजना के तहत देश भर में 1.5 लाख स्वास्थ्य केंद्र खोलने का फैसला लिया है।
• प्रधानमंत्री ने कहा-जल्द ही जन औषधि केंद्र 5000 से अधिक होंगे
3. यह रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट बढ़ाने की शुरूआत है
• महंगाई बढ़ने के साथ ही रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने एकमत से रेपो रेट 0.25% बढ़ाने का फैसला किया। इससे यह डर खत्म हो गया है कि समिति के ढांचे की वजह से फैसले लेने में देरी होगी। रिजर्व बैंक की स्वतंत्रता को लेकर भी सवाल नहीं रहे।
• मौद्रिक नीति की समीक्षा में कहा गया है कि समिति ने कच्चे तेल के दामों और कोर इन्फ्लेशन में बढ़ोतरी को ध्यान में रखा है। कोर इन्फ्लेशन में खाद्य पदार्थ, ईंधन और एचआरए का असर शामिल नहीं। खरीफ एमएसपी में संभावित बढ़ोतरी और रुपए में कमजोरी के असर का भी आकलन नहीं किया गया है। अप्रैल की समीक्षा में आरबीआई ने डॉलर की कीमत 65.04 रुपए आंकी थी।
• इस साल औसत महंगाई 5.1% : रेट बढ़ाने के बावजूद आउटलुक न्यूट्रल रखा गया है। समिति का कहना है कि भावी कदम डेटा पर निर्भर करेगा। लेकिन महंगाई के बढ़ते दबाव को देखते हुए हमारा मानना है कि यह रेट बढ़ाने की शुरूआत है। साल के अंत तक रेट और 0.25% बढ़ सकता है। समिति ने 2018-19 में महंगाई का अनुमान भी 4.65% से बढ़ाकर 4.78% किया है।
• अप्रैल-सितंबर का अनुमान 4.8% से बढ़ाकर 4.9% और अक्टूबर-मार्च का 4.7% किया गया है। हमारा मानना है कि आगे यह अनुमान और बढ़ सकता है। कच्चे तेल में तेजी, रुपए में कमजोरी और खरीफ एमएसपी को देखते हुए इस साल औसत महंगाई 5.1% रह सकती है। ग्रोथ और डिमांड का दबाव बढ़ने से कोर महंगाई बढ़ने का अंदेशा है।
• 2018-19 में 7.3% रहेगी ग्रोथ रेट :आरबीआई ने 2018-19 के लिए 7.4% ग्रोथ के पुराने अनुमान को बरकरार रखा है। पहली छमाही में ग्रोथ रेट 7.5-7.6% और दूसरी छमाही में 7.3-7.4% रहने की उम्मीद है। सीएसओ द्वारा हाल ही जारी आंकड़ों से पता चलता है कि चौथी तिमाही में निवेश तो बढ़ा है, लेकिन खपत बढ़ने की रफ्तार कम हुई है।
• हमारे विचार से निवेश में बढ़ोतरी चौतरफा होगी। अभी तक निवेश खास तौर से सरकार के कारण बढ़ा है। वह भी सड़क और रेल क्षेत्र में। अच्छे मानसून, बेहतर फूड सप्लाई मैनेजमेंट और गांवों में वेतन बढ़ने से खपत में इजाफा होगा। ग्रोथ में सबसे बड़ी अड़चन कच्चा तेल है। आरबीआई ने पहले इसके लिए 66 डॉलर/बैरल कीमत का अनुमान लगाया था, जबकि 74 डॉलर तक पहुंच गया है। इस जोखिम को देखते हुए 2018-19 में हमारा 7.3% ग्रोथ का अनुमान है।
• बांड यील्ड में बढ़ोतरी के आसार : रिजर्व बैंक ने पॉलिसी रेट के अलावा भी कई फैसले किए। बैंकों को लिक्विडिटी कवरेज रेशियो के नियम में ढील दी गई है। रेट बढ़ने से लिक्विडिटी की जो समस्या आती, वह इस फैसले से काफी हद तक कम हो जाएगी।
• बाजार को रेपो रेट बढ़ने का पहले से अंदाजा था। इसलिए वह इसके असर को पहले ही जज्ब कर चुका था। लेकिन महंगाई बढ़ने के आसार के चलते बांड यील्ड में और बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। रुपए में भी कुछ मजबूती की उम्मीद है। हालांकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक (12-13 जून) से पहले इसमें ज्यादा मजबूती नहीं आएगी।
• वित्त वर्ष के अंत तक बांड यील्ड 8.2% तक पहुंच सकता है। पूरे साल में डॉलर की तुलना में रुपया 3% रहेगा। जुलाई के अंत तक इसके 67-67.5 के बीच रहने के आसार हैं।
• महंगाई बढ़ने के साथ ही रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने एकमत से रेपो रेट 0.25% बढ़ाने का फैसला किया। इससे यह डर खत्म हो गया है कि समिति के ढांचे की वजह से फैसले लेने में देरी होगी। रिजर्व बैंक की स्वतंत्रता को लेकर भी सवाल नहीं रहे।
• मौद्रिक नीति की समीक्षा में कहा गया है कि समिति ने कच्चे तेल के दामों और कोर इन्फ्लेशन में बढ़ोतरी को ध्यान में रखा है। कोर इन्फ्लेशन में खाद्य पदार्थ, ईंधन और एचआरए का असर शामिल नहीं। खरीफ एमएसपी में संभावित बढ़ोतरी और रुपए में कमजोरी के असर का भी आकलन नहीं किया गया है। अप्रैल की समीक्षा में आरबीआई ने डॉलर की कीमत 65.04 रुपए आंकी थी।
• इस साल औसत महंगाई 5.1% : रेट बढ़ाने के बावजूद आउटलुक न्यूट्रल रखा गया है। समिति का कहना है कि भावी कदम डेटा पर निर्भर करेगा। लेकिन महंगाई के बढ़ते दबाव को देखते हुए हमारा मानना है कि यह रेट बढ़ाने की शुरूआत है। साल के अंत तक रेट और 0.25% बढ़ सकता है। समिति ने 2018-19 में महंगाई का अनुमान भी 4.65% से बढ़ाकर 4.78% किया है।
• अप्रैल-सितंबर का अनुमान 4.8% से बढ़ाकर 4.9% और अक्टूबर-मार्च का 4.7% किया गया है। हमारा मानना है कि आगे यह अनुमान और बढ़ सकता है। कच्चे तेल में तेजी, रुपए में कमजोरी और खरीफ एमएसपी को देखते हुए इस साल औसत महंगाई 5.1% रह सकती है। ग्रोथ और डिमांड का दबाव बढ़ने से कोर महंगाई बढ़ने का अंदेशा है।
• 2018-19 में 7.3% रहेगी ग्रोथ रेट :आरबीआई ने 2018-19 के लिए 7.4% ग्रोथ के पुराने अनुमान को बरकरार रखा है। पहली छमाही में ग्रोथ रेट 7.5-7.6% और दूसरी छमाही में 7.3-7.4% रहने की उम्मीद है। सीएसओ द्वारा हाल ही जारी आंकड़ों से पता चलता है कि चौथी तिमाही में निवेश तो बढ़ा है, लेकिन खपत बढ़ने की रफ्तार कम हुई है।
• हमारे विचार से निवेश में बढ़ोतरी चौतरफा होगी। अभी तक निवेश खास तौर से सरकार के कारण बढ़ा है। वह भी सड़क और रेल क्षेत्र में। अच्छे मानसून, बेहतर फूड सप्लाई मैनेजमेंट और गांवों में वेतन बढ़ने से खपत में इजाफा होगा। ग्रोथ में सबसे बड़ी अड़चन कच्चा तेल है। आरबीआई ने पहले इसके लिए 66 डॉलर/बैरल कीमत का अनुमान लगाया था, जबकि 74 डॉलर तक पहुंच गया है। इस जोखिम को देखते हुए 2018-19 में हमारा 7.3% ग्रोथ का अनुमान है।
• बांड यील्ड में बढ़ोतरी के आसार : रिजर्व बैंक ने पॉलिसी रेट के अलावा भी कई फैसले किए। बैंकों को लिक्विडिटी कवरेज रेशियो के नियम में ढील दी गई है। रेट बढ़ने से लिक्विडिटी की जो समस्या आती, वह इस फैसले से काफी हद तक कम हो जाएगी।
• बाजार को रेपो रेट बढ़ने का पहले से अंदाजा था। इसलिए वह इसके असर को पहले ही जज्ब कर चुका था। लेकिन महंगाई बढ़ने के आसार के चलते बांड यील्ड में और बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। रुपए में भी कुछ मजबूती की उम्मीद है। हालांकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक (12-13 जून) से पहले इसमें ज्यादा मजबूती नहीं आएगी।
• वित्त वर्ष के अंत तक बांड यील्ड 8.2% तक पहुंच सकता है। पूरे साल में डॉलर की तुलना में रुपया 3% रहेगा। जुलाई के अंत तक इसके 67-67.5 के बीच रहने के आसार हैं।
4. भारत ने माना, मालदीव के साथ रक्षा संबंध कमजोर हुए
• सरकार ने बृहस्पतिवार को परोक्ष रूप से स्वीकार किया कि मालदीव के साथ उसके रक्षा संबंध अब पहले जैसे नहीं रहे।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने यहां नियमित ब्री¨फग में इस बात के संकेत दिए।
• प्रवक्ता ने भारत द्वारा मालदीव को मुहैया कराए गए दो सैन्य हेलीकॉप्टर की पट्टे की मियाद खत्म होने पर उन्हें भारत को वापस लौटाने की पेशकश के बारे में कहा, भारत और मालदीव के बीच रक्षा सहयोग बहुत प्रगाढ़ थे, बहुत मजबूत थे। हम इस बारे में लगातार संपर्क बनाये हुए हैं।मालदीव के एक सांसद को चेन्नई के हवाईअड्डे पर आव्रजन की इजाजत नहीं दिए जाने के बारे में कुमार ने कहा, सरकार इस मामले की जांच कर रही है।
• उन्होंने कहा, उन्होंने वह मीडिया रिपोर्ट देखीं हैं जिनके अनुसार मालदीव के एक सांसद को चार जून की रात को चेन्नई के हवाई अड्डे पर आव्रजन की इजाजत नहीं दी गई थी। उन्होंने कहा, हम पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि इसकी क्या वजह थी।
• इसी बीच पाकिस्तान के एक दल को भारत में एक सम्मेलन में भाग लेने आने के लिए इजाजत नहीं दिए जाने से संबंधित सवाल के जवाब में कुमार ने कहा कि वीसा दिए जाने को लेकर बहुत सारे पहलुओं पर विचार किया जाता है और उनमें एक अहम पहलू यह भी है कि दो देशों के रिश्ते कैसे हैं और इस समय भारत एवं पाकिस्तान के रिश्ते बहुत अच्छे नहीं हैं।
• सरकार ने बृहस्पतिवार को परोक्ष रूप से स्वीकार किया कि मालदीव के साथ उसके रक्षा संबंध अब पहले जैसे नहीं रहे।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने यहां नियमित ब्री¨फग में इस बात के संकेत दिए।
• प्रवक्ता ने भारत द्वारा मालदीव को मुहैया कराए गए दो सैन्य हेलीकॉप्टर की पट्टे की मियाद खत्म होने पर उन्हें भारत को वापस लौटाने की पेशकश के बारे में कहा, भारत और मालदीव के बीच रक्षा सहयोग बहुत प्रगाढ़ थे, बहुत मजबूत थे। हम इस बारे में लगातार संपर्क बनाये हुए हैं।मालदीव के एक सांसद को चेन्नई के हवाईअड्डे पर आव्रजन की इजाजत नहीं दिए जाने के बारे में कुमार ने कहा, सरकार इस मामले की जांच कर रही है।
• उन्होंने कहा, उन्होंने वह मीडिया रिपोर्ट देखीं हैं जिनके अनुसार मालदीव के एक सांसद को चार जून की रात को चेन्नई के हवाई अड्डे पर आव्रजन की इजाजत नहीं दी गई थी। उन्होंने कहा, हम पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि इसकी क्या वजह थी।
• इसी बीच पाकिस्तान के एक दल को भारत में एक सम्मेलन में भाग लेने आने के लिए इजाजत नहीं दिए जाने से संबंधित सवाल के जवाब में कुमार ने कहा कि वीसा दिए जाने को लेकर बहुत सारे पहलुओं पर विचार किया जाता है और उनमें एक अहम पहलू यह भी है कि दो देशों के रिश्ते कैसे हैं और इस समय भारत एवं पाकिस्तान के रिश्ते बहुत अच्छे नहीं हैं।
5. देश में एफडीआइ कम हुआ लेकिन विदेशों में भारतीय निवेश दोगुना
• बीते साल 2017 के दौरान भारत में प्रत्यक्ष विदेश निवेश (एफडीआइ) 40 अरब डॉलर रह गया। वर्ष 2016 में 44 अरब डॉलर एफडीआइ देश में आया था। इसके विपरीत भारत से विदेशों में निवेश इस दौरान दोगुना हो गया। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र की एक कारोबारी रिपोर्ट में दी गई है।
• यूएन कान्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डवलपमेंट (अंकटाड) की विश्व निवेश रिपोर्ट 2018 के अनुसार बीते साल ग्लोबल निवेश 23 फीसद घटकर 1430 अरब डॉलर रह गया। उससे पहले यह निवेश 1870 अरब डॉलर था। अंकटाड के महासचिव मुखीसा कितुयी ने कहा कि एफडीआइ में कमी और ग्लोबल वैल्यू चेन में सुस्ती आना पूरी दुनिया में नीतियां बनाने वालों के लिए चिंता का विषय है। विकासशील देशों के लिए यह चिंता ज्यादा गंभीर है।
• रिपोर्ट के अनुसार भारत में निवेश 44 अरब डॉलर से घटकर 40 अरब डॉलर रह गया। लेकिन भारत से विदेशों में निवेश दोगुना हो गया। निवेश प्रवाह के मामले में दक्षिण एशिया में भारत प्रमुख देश रहा है। इस दौरान भारत से निवेश बढ़कर 11 अरब डॉलर हो गया। रिपोर्ट ने हाल के वर्षो में विदेशों में निवेश के लिए ओएनजीसी की सक्रियता का जिक्र किया है।
• उसने 2016 में रूस की राष्ट्रीय तेल कंपनी रोजनेफ्ट की सहयोगी कंपनी वेंकोरनेफ्ट में 26 फीसद हिस्सेदारी खरीदी थी। इसके अलावा 2017 में भारतीय सरकारी कंपनी ने नामीबिया में ट्यूलो ऑयल से एक ऑफशोर फील्ड में 15 फीसद हिस्सेदारी खरीदी।
• रिपोर्ट में बताया गया है कि बीते साल कई बड़े विलय और अधिग्रहण होने से इस माध्यम से निवेश बढ़ा। विलय और अधिग्रहण के जरिये भारत में निवेश आठ अरब डॉलर से बढ़कर 23 अरब डॉलर हो गया।
• रूस की नोजनेफ्टगेज की सिंगापुर स्थित कंपनी पेट्रोल कांप्लेक्स ने एस्सार ऑयल की 49 फीसद हिस्सेदारी 13 अरब डॉलर में खरीदी। इसके अलावा अमेरिका की ई-कॉमर्स कपनी ईबे, टेक्नोलॉजी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट, चीन की निवेश कंपनी टेनसेंट समेत निवेशकों के एक समूह ने 1.4 अरब डॉलर में फ्लिपकार्ट की कुछ हिस्सेदारी खरीदी थी।
• सॉफ्टबैंक ने वन97 से फ्लिपकार्ट की 20 फीसद हिस्सेदारी भी खरीदी थी। वन97 ई-वॉलेट कंपनी पेटीएम की स्वामी कंपनी है।
• भारत ही नहीं पूरी दुनिया में बीते साल कम रहा एफडीआइ
• बीते साल 2017 के दौरान भारत में प्रत्यक्ष विदेश निवेश (एफडीआइ) 40 अरब डॉलर रह गया। वर्ष 2016 में 44 अरब डॉलर एफडीआइ देश में आया था। इसके विपरीत भारत से विदेशों में निवेश इस दौरान दोगुना हो गया। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र की एक कारोबारी रिपोर्ट में दी गई है।
• यूएन कान्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डवलपमेंट (अंकटाड) की विश्व निवेश रिपोर्ट 2018 के अनुसार बीते साल ग्लोबल निवेश 23 फीसद घटकर 1430 अरब डॉलर रह गया। उससे पहले यह निवेश 1870 अरब डॉलर था। अंकटाड के महासचिव मुखीसा कितुयी ने कहा कि एफडीआइ में कमी और ग्लोबल वैल्यू चेन में सुस्ती आना पूरी दुनिया में नीतियां बनाने वालों के लिए चिंता का विषय है। विकासशील देशों के लिए यह चिंता ज्यादा गंभीर है।
• रिपोर्ट के अनुसार भारत में निवेश 44 अरब डॉलर से घटकर 40 अरब डॉलर रह गया। लेकिन भारत से विदेशों में निवेश दोगुना हो गया। निवेश प्रवाह के मामले में दक्षिण एशिया में भारत प्रमुख देश रहा है। इस दौरान भारत से निवेश बढ़कर 11 अरब डॉलर हो गया। रिपोर्ट ने हाल के वर्षो में विदेशों में निवेश के लिए ओएनजीसी की सक्रियता का जिक्र किया है।
• उसने 2016 में रूस की राष्ट्रीय तेल कंपनी रोजनेफ्ट की सहयोगी कंपनी वेंकोरनेफ्ट में 26 फीसद हिस्सेदारी खरीदी थी। इसके अलावा 2017 में भारतीय सरकारी कंपनी ने नामीबिया में ट्यूलो ऑयल से एक ऑफशोर फील्ड में 15 फीसद हिस्सेदारी खरीदी।
• रिपोर्ट में बताया गया है कि बीते साल कई बड़े विलय और अधिग्रहण होने से इस माध्यम से निवेश बढ़ा। विलय और अधिग्रहण के जरिये भारत में निवेश आठ अरब डॉलर से बढ़कर 23 अरब डॉलर हो गया।
• रूस की नोजनेफ्टगेज की सिंगापुर स्थित कंपनी पेट्रोल कांप्लेक्स ने एस्सार ऑयल की 49 फीसद हिस्सेदारी 13 अरब डॉलर में खरीदी। इसके अलावा अमेरिका की ई-कॉमर्स कपनी ईबे, टेक्नोलॉजी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट, चीन की निवेश कंपनी टेनसेंट समेत निवेशकों के एक समूह ने 1.4 अरब डॉलर में फ्लिपकार्ट की कुछ हिस्सेदारी खरीदी थी।
• सॉफ्टबैंक ने वन97 से फ्लिपकार्ट की 20 फीसद हिस्सेदारी भी खरीदी थी। वन97 ई-वॉलेट कंपनी पेटीएम की स्वामी कंपनी है।
• भारत ही नहीं पूरी दुनिया में बीते साल कम रहा एफडीआइ
6. वायु सेना को मिलेंगे उच्च क्षमता वाले स्वदेशी रडार
• वायु सेना की मारक और बचाव क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार ने देश में ही बने 12 रडारों की खरीद को मंजूरी दी है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में गुरुवार को रक्षा खरीद परिषद की बैठक में सेनाओंं के लिए 5500 करोड़ रुपए के रक्षा सौदों को मंजूरी दी गई।
• रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और स्वदेशी के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि 12 रडारों की खरीद 'बॉय इंडियन' श्रेणी के तहत की जाएगी।
• इनका डिजायन, विकास और उत्पादन देश में ही किया जाएगा। बैठक में तटरक्षक बल और सेना के लिए 'एयर कुशन वैसल' यानी कम पानी और दलदल में चलने वाली विशेष नौकाओं की खरीद के सौदे को भी मंजूरी दी गई है।
• ये नौका कम पानी, दलदल और कीचड़ में भी तेज गति से चलती हैं। इनसे एक द्वीप से दूसरे द्वीप पर जवानों और सैन्य साजो सामान तेजी से पहुंचाने में मदद मिलेगी।
• वायु सेना की मारक और बचाव क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार ने देश में ही बने 12 रडारों की खरीद को मंजूरी दी है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में गुरुवार को रक्षा खरीद परिषद की बैठक में सेनाओंं के लिए 5500 करोड़ रुपए के रक्षा सौदों को मंजूरी दी गई।
• रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और स्वदेशी के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि 12 रडारों की खरीद 'बॉय इंडियन' श्रेणी के तहत की जाएगी।
• इनका डिजायन, विकास और उत्पादन देश में ही किया जाएगा। बैठक में तटरक्षक बल और सेना के लिए 'एयर कुशन वैसल' यानी कम पानी और दलदल में चलने वाली विशेष नौकाओं की खरीद के सौदे को भी मंजूरी दी गई है।
• ये नौका कम पानी, दलदल और कीचड़ में भी तेज गति से चलती हैं। इनसे एक द्वीप से दूसरे द्वीप पर जवानों और सैन्य साजो सामान तेजी से पहुंचाने में मदद मिलेगी।